शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में घुसे

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ढाका,  बांग्लादेश में हजारों प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को राजधानी ढाका में शेख हसीना के सरकारी आवास में लूटपाट और तोड़फोड़ की, उनके पिता मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को हथौड़ों से तोड़ दिया और उनकी पार्टी के कार्यालयों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के रूप में हसीना के जाने का जश्न मना रहे थे।

हसीना (76) ने उनकी सरकार के खिलाफ हो रहे व्यापक प्रदर्शन के बीच इस्तीफा दे दिया।

पिछले महीने शुरू हुए ये विरोध प्रदर्शन, 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू हुए थे, जो बाद में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गए।

सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां द्वारा प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की घोषणा के बाद, देश भर में उत्साही भीड़ अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आई। हसीना के इस्तीफे के साथ ही सत्ता में उनके 15 साल का शासन समाप्त हो गया।

हजारों प्रदर्शनकारियों ने सैन्य कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए उनके सरकारी आवास पर धावा बोल दिया। हालांकि, वह अपने आवास पर नहीं थीं।

वीडियो फुटेज में प्रदर्शनकारियों को राजधानी ढाका में हसीना के आधिकारिक आवास ‘गणभवन’ में तोड़फोड़ और लूटपाट करते हुए दिखाया गया है। वे गणभवन परिसर में हाथ हिलाकर जश्न मनाते देखे गए। उनमें से कई लोग गणभवन का सामान लेकर जाते भी नजर आए।

सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में प्रदर्शनकारी ढाका में हसीना के पिता एवं 1971 के मुक्ति संग्राम के नायक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा पर चढ़ते और हथौड़ों से उसे तोड़ते हुए नजर आए।

धानमंडी और ढाका में हसीना की पार्टी अवामी लीग के कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया और सरकार विरोधी नारे लगाए। उन्होंने राजधानी में गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के आवास पर भी हमला किया और तोड़फोड़ की। उनके घर से धुआं निकलता भी देखा गया।

सेना प्रमुख ने हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में उनके इस्तीफे की घोषणा की। इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान पिछले दो दिनों में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई। हिंसा के कारण अधिकारियों ने देश भर में अनिश्चितकाल के लिये कर्फ्यू लगाना पड़ा।

सोमवार को हुयी हिंसा में कम से कम छह लोगों की मौत हो गयी।

सरकार ने प्रदर्शनकारियों के आम जनता से ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ में भाग लेने का आह्वान करने के बाद इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने का सुबह आदेश दिया। एक सरकारी एजेंसी ने हालांकि सोमवार को अपराह्न करीब सवा एक बजे ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू करने का मौखिक आदेश दिया। प्रदर्शनकारियों के राजधानी में एकत्र होने के दौरान पुलिस और सेना सड़कों पर नजर आई।

दिन की शुरुआत में सड़कों पर शांति थी, लेकिन हालात उस समय हिंसक हो गये, जब सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थक सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सड़कों पर उतर आए, जो कर्फ्यू का उल्लंघन कर ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ के लिए एकत्र हुए थे।

रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 101 लोग मारे गए।