दैनिक जीवन में शिष्टाचार

जीवन में शिष्टाचार के कुछ प्रमुख सूत्र इस प्रकार हैं :-
1. अपने से बड़ों से सदा नम्रता का व्यवहार करना चाहिए। प्रात:काल चरण-स्पर्श करना चाहिए। उनके बुलाने पर तुरन्त पहुंच जाएं। घर के कार्य में अपने बड़ों का हाथ बंटाना चाहिए। छोटे गलती करें तो उन्हें प्यार से समझाएं, डांटें नहीं।
2. पूजा स्थल पर वहां की मर्यादा का पालन करें। दूसरों के धर्म के विरुद्ध न बोलें। हंसी किसी की भी नहीं उड़ानी चाहिए। धार्मिक स्थानों पर क्रोधपूर्वक वार्तालाप या गाली-गलौच नहीं करना चाहिए, इससे आपकी अशिष्टता का परिचय मिलता है।
3. कोई समाचार-पत्र पढ़ रहा हो तो उससे छीनकर न पढ़ें। जब वह पढ़कर समाप्त कर ले तो नम्रता से मांग कर पढ़ें।
4. किसी सार्वजनिक सभा में बोलने से पहले मंच संचालक को अपना नाम पहले लिखवाएं। बारी आने पर बोलें। समय न मिलने पर उतावलापन न दिखाएं।
5. किसी के घर प्रीतिभोज पर जाते समय वस्त्रों का उचित चुनाव करें। समय से पहले पहुंचें। भोजन करते समय कम बोलें। ग्रास की समाप्ति पर वार्तालाप करें।
6. किसी के पकाए भोजन, बनाई वस्तु की आलोचना न करें।
7. जहां स्त्रियां हों, वहां सूचना देकर, दरवाजा खटखटा कर, पूछकर जावें। स्त्रियों से सम्मानपूर्वक बात करें। स्त्रियों को घूरना उचित नहीं है। उनसे सदैव शिष्टïता से बातचीत करें। क्योंकि स्त्रियों की अन्तर्दृष्टि होती है, वे बात करने वाले के भाव जल्दी ताड़ जाती हैं।
8. अपने बड़ों के दाएं बैठें। चलते समय उनके आगे न चलें। बैठते समय पहले उनको स्थान दें। उनके सामने शराब, सिगरेट, पान, तम्बाकू न खाएं।
9. किसी को हीन न समझें उसको नीचा दिखाने की चेष्टा न करें।
10. क्रोध न करें। क्रोध आये तो दस तक गिनें। क्रोध प्रकट करना भी हो तो साधारण व्यंग्य द्वारा कर दें। शिष्टï, नम्र व्यवहार हर समाज का प्रवेश द्वार है। आपकी सहजता और वाक्पटुता से आपकी साख बढ़ सकती है।
आप अपने क्षेत्र में ज्यादा प्रभुत्व कायम रख सकते हैं।
वाणी का शिष्टाचार, व्यवहार के शिष्टाचार को जन्म देता है।
यदि आपका व्यवहार सभ्य है तो आप जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब हो सकते हैं।