‘आत्मनिर्भर’ पर जोर से अकुशल आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए: रंगराजन

हैदराबाद, तीन अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने शनिवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति में व्यवधान के कारण कई देशों ने ‘महत्वपूर्ण आयात’ के संबंध में आत्मनिर्भर होने के बारे में सोचना शुरू कर दिया।

उन्होंने आगे कहा कि भारत को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ‘आत्मनिर्भर’ पर जोर से अकुशल ‘आयात प्रतिस्थापन’ को बढ़ावा न मिले।

सरल शब्दों में आयात प्रतिस्थापन का अर्थ आयातित वस्तुओं को घरेलू उत्पादों से बदलना है।

उन्होंने आईसीएफएआई फाउंडेशन फॉर हायर एजुकेशन के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की वृद्धि रणनीति बहुआयामी होनी चाहिए।

रंगराजन ने कहा कि निवेश दर बढ़ाकर, कृषि, विनिर्माण और सेवाओं पर जोर देकर, नई तकनीकों को आत्मसात करके और रोजगार के अनुकूल क्षेत्रों के मिश्रण को बढ़ावा देकर वृद्धि को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि बेरोजगारी बढ़ना निश्चित रूप से चिंता का विषय है, लेकिन नई प्रौद्योगिकियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और वृद्धि के बिना रोजगार सृजन भी उतना ही बुरा है।

उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में सबसे कठिन चुनौती होने जा रहा है।

उनके अनुसार हालांकि भारत को अपनी उपलब्धियों को कमतर आंकने की जरूरत नहीं है, और उच्च शिक्षा को मजबूत करना चाहिए।