बच्चों को संकोची मत बनाइये

बच्चे क्यों शर्माते हैं। उसमें संकोची स्वभाव कब क्यों और कैसे उत्पन्न होता है। यदि हम प्रश्रों का उत्तर स्वयं से मांगे तो अपने आप को इसके लिए जिम्मेदार पायेंगे। इसलिए आप ही किंचित सी सावधानी द्वारा इन प्रश्रों का समाधान ढूंढ़कर अपने बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं।
 कुछ बच्चों में शर्मीलेपन का गुण पैतृक होता है और कुछ को प्रकृति प्रदत्त। दो भाईयों में एक चंचल होता है तो दूसरा संकोची। इसके साथ ही शैशव काल में किये गये व्यवहार का बच्चों के कोरे मन पर अमिट प्रभाव पड़ता है। घर-मोहल्ले के वातावरण का उनके हर क्रिया-कलाप से सीधा संबंध होता है। जिसके अनुरूप वे अपने को ढालने का प्रयत्न करते हैं।
बच्चे और बंदर स्वभाव से नकलची होते है। बड़ों को जो कार्य करते हुए बच्चेदेखते हैं, बिल्कुल वैसे ही कार्य करने की कोशिश करते हैं। बड़ों को बच्चों की जिज्ञासु प्रकृति की उपेक्षा नहीं करती चाहिए। उनकी जरा सी भी उपेक्षा से बच्चे कुंठाग्रस्त हो सकते हैं। कोई भी हीनभावना उनमें घर कर सकती है। अधिक डांट-फटकार और पिटाई से या तो वे हठी बन जाते हैं या फिर संकोची। किसी भी कार्य को करते समय उनको डर बना रहता है कि कहीं डांट न पड़ जाए कहीं पिटाई न हो जाये। यहीं से बच्चों में संकोचशील स्वभाव का उदय होता है, जिस कारण वे भविष्य में भी निर्भय नहीं बन पाते हैं।
मां की भूमिका
मां बच्चे की सबसे उत्तम शिक्षिका होती है। वह अपने व्यवहार के साथ-साथ अनेकानेक उपदेशों संदेशों व आदर्शो से बच्चे को बहुत कुछ सिखाती है। इतिहास साक्षी है कि शिवाजी को बचपन में दिये गये मां जीजाबाई के उपदेशों ने उनके निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, तभी तो वह सफलता का वरण कर सके।
बड़ों का बड़प्पन प्रदर्शनबच्चों के किया-कलापों को सीधे-सीधे प्रभावित करता है। बड़प्पन को जिंदा रखने के लिए हर बड़ा यह चाहता है कि वे छोटे से करने के लिए जो कहें वह उसे अवश्य ही करें। ऐसी जिद करना बच्चे को उलझन में डाल देता है। उसने आज तक जिसको देखा नहीं अकस्मात उससे नमस्ते कैसे कर ले बाल मस्तिष्क में यह प्रश्र चक्कर काटने लगता है और फिर वह किसी के भी आने पर उसके सामने जाने से संकोच प्रदर्शित करने लगता है।
बच्चा सिद्धांत की अपेक्षा व्यवहार को जल्दी समझता है कथनी की अपेक्षा करनी का अनुसार करने की साधारणतया बच्चों की वृत्ति होती है। जिसको बड़े यथोचित आदर सत्कार देते हैं, बच्चे स्वत: ही उसको सम्मान देने लगते हैं। बड़ा यदि किसी को नमस्ते करेगा तो बच्चा अपनी नकलची प्रवृत्ति के कारण नमस्ते करेगा। निश्चय ही बच्चों से जिस व्यवहार की अपेक्षा रहती है वह व्यवहार उनके समक्ष प्रस्तुत करना पड़ता है।
शिक्षा का अभाव बच्चों में संकीर्णता की प्रवृत्ति की ओर भी बढ़ाता है अथवा उनका निसंकोच होना शिष्टाचार की परिधि को तोड़ देता है। बच्चों के चारों ओर का वातावरण उनकी आदतों व संस्कारों का निर्माता होता है जो उनको अपने स्वजनों के सानिध्य से प्राप्त होता है जहां परिवार के बड़े लोगों में हीनभावना होती है निसंदेह बच्चों में भी हीन भावना फलने-फूलने लगती है।  आवश्यकता है  सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाकर शिक्षा व संस्कार का सृजन करने की, जिससे भावी पीढिय़ों को नया परिवेश मिल सके।
बचपन में घर करने वाला संकोची स्वभाव भविष्य में विकास में आड़े आता है। फिर बच्चे किशोरावस्था में भी अपने ही मित्रों और संबंधियों के बीच संकोच प्रदर्शित  करने हीन भावना के शिकार बनते चले जाते हैं। इन बच्चों को एकांत प्रिय होता है। किसी के यहां जाने में उनको जितनी शर्म आती है, उतनी ही अपने यहां किसी मेहमान के आने पर आती है। यहां तक कि अपने बराबर के साथियों के साथ भी बात करने या खेलने आदि में उनको संकोच होता है।
जब स्नातक कक्षा का प्रथम श्रेणी का छात्र संकोचभाव का प्रदर्शन करता है तब यह अवश्य लगता है कि इसका मात्र प्रथम (फस्र्ट) आना इसके भावी जीवन को सफल नहीं बना सकता। प्रश्न उठता है कि वह किसी भी साक्षात्कार में बोर्ड का सामना कैसे करेगा। अनेक छात्र तो प्रश्न का उत्तर जानते हुए भी उसको व्यक्त करने में अपने को लाचार महसूस करते हैं। इसके पीछे इनका संकोचशील स्वभाव सक्रिय कार्य करता है, जिसके परिणाम स्वरूप उनमें यह भावना जागृत हो जाती है कि मैं जो कहूं वह ठीक है अथवा नहीं। यह प्रश्न चिन्ह उनके मुंह को बंद रखने के लिए विवश कर देता है। इसके पीछे भी बचपन में गलत उत्तर देने के कारण हुई पिटाई या डांट-फटकार हो सकती है या छोटी-छोटी गलतियों के लिये उठाया गया उनका मजाक भी इसका कारण हो सकता है।
 बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है कि वे संकोच से मुक्त रहें अन्यथा सफलता उनके लिये भाग्य की विषय वस्तु बनकर रह जाती है, इसलिए बाल्यावस्था से ही कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखकर बच्चों से व्यवहार करें तो इस समस्या के मूल को नष्ट किया जा सकता है।