नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इस सवाल पर सुनवाई 28 अगस्त तक टाल दी कि क्या धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्क करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को बरकरार रखने वाले उसके 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
सुनवाई शुरू होते ही ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ से कहा कि पुनर्विचार याचिकाएं अचानक सूचीबद्ध की गई हैं और उन्हें कुछ समय चाहिए।
मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘इन्हें अचानक सूचीबद्ध किया गया है। हमें तैयारी के लिए कुछ समय चाहिए। हमें पता चला कि मामले को बीती देर रात सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। कृपया इस पर बाद की तारीख में सुनवाई करें।’’
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 2022 का फैसला गलत है और इस पर पुनर्विचार की जरूरत है।
शीर्ष अदालत ने मामले को स्थगित करने पर सहमति जताते हुए याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख निर्धारित की।
अदालत कुछ मानदंडों के आधार पर तीन न्यायाधीशों की पीठ के 27 जुलाई, 2022 के फैसले पर पुनर्विचार के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
उच्चतम न्यायालय ने 2022 के अपने फैसले में पीएमएलए के तहत धन शोधन में शामिल संपत्ति की तलाशी और जब्ती तथा गिरफ्तारी के सबंध में ईडी की शक्तियों को बरकरार रखा था।