रामनगर (कर्नाटक), कर्नाटक में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसकी सहयोगी जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) ने कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण स्थल आवंटन घोटाले के खिलाफ रविवार को दूसरे दिन भी बेंगलुरु से मैसूर तक सात दिवसीय मार्च जारी रखा और कांग्रेस सरकार एवं मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को घेरने का प्रयास किया।
विपक्षी दलों का आरोप है कि एमयूडीए ने उन लोगों को मुआवजे के तौर पर भूखंड वितरित करने में अनियमितता बरती, जिनकी जमीन का ‘‘अधिग्रहण’’ किया गया है। मुआवजे के तौर पर भूखंड प्राप्त करने वालों में सिद्धरमैया की पत्नी पार्वती भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के इस्तीफे की मांग को लेकर शुरू की गई ‘मैसुरु चलो’ पदयात्रा दूसरे दिन यहां बिदादी से शुरू हुई और यह 22 किलोमीटर की दूरी तय कर केंगल पहुंचेगी।
भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं विधायक बी वाई विजयेंद्र, जद (एस) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी, विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवधी नारायणस्वामी, जद (एस) नेता निखिल कुमारस्वामी, दोनों दलों के कई विधायक, नेता और कार्यकर्ता रविवार को बिदादी से शुरू हुए मार्च में शामिल हुए।
पदयात्रा के दौरान भाजपा और जद(एस) के झंडे और तख्तियां लिए बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को ढोल-नगाड़ों की ध्वनि के बीच सिद्धरमैया और उनके नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ नारे लगाते देखा गया।
जिस मार्ग से मार्च गुजरा, उसके कई स्थानों पर दोनों दलों के झंडे, पताका और प्रमुख नेताओं की तस्वीरें लगाई गई थीं।
शनिवार को बेंगलुरु के पास केंगेरी से शुरू हुए इस मार्च के पहले दिन बिदादी तक 16 किलोमीटर की दूरी तय की गई।
ऐसा आरोप है कि पार्वती को मैसुरु के एक ‘पॉश’ इलाके में मुआवजे के तौर पर ऐसा भूखंड आवंटित किया गया, जिसका मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था, जिसका एमयूडीए ने ‘‘अधिग्रहण’’ किया था।
एमयूडीए ने पार्वती को उनकी तीन एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की जमीन के बदले में 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे। इस विवादास्पद योजना के तहत अधिग्रहीत अविकसित भूमि के बदले में भूमि देने वाले को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित करने की परिकल्पना की गई है।