वाशिंगटन, 13 जुलाई (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत के लिए अमेरिकी समर्थन बढ़ाने और इस हिमालयी क्षेत्र के दर्जे व शासन से संबंधित विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और दलाई लामा के बीच संवाद को बढ़ावा देने संबंधी एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है।
चीन ने ‘रिजॉल्व तिब्बत एक्ट’ का विरोध करते हुए इसे अस्थिरता पैदा करने वाला कानून बताया था। पिछले साल फरवरी में प्रतिनिधि सभा ने जबकि मई में सीनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
बाइडन ने शुक्रवार देर रात जारी एक बयान में कहा, “आज, मैंने एस. 138, ‘तिब्बत-चीन विवाद समाधान को बढ़ावा देने वाला अधिनियम’ पर हस्ताक्षर किए हैं। मैं तिब्बतियों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी विशिष्ट भाषाई, सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत को संरक्षित करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए संसद के दोनों सदनों की प्रतिबद्धता को साझा करता हूं।”
बाइडन ने कहा, “मेरा प्रशासन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत फिर से शुरू करने का आह्वान करता रहेगा, ताकि मतभेदों को दूर किया जा सके और तिब्बत पर बातचीत के जरिए समझौता किया जा सके।”
चौदहवें दलाई लामा 1959 में तिब्बत से भागकर भारत चले गए थे, जहां उन्होंने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित सरकार स्थापित की। 2002 से 2010 तक दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच नौ दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
चीन, भारत में रह रहे 89 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता को एक “अलगाववादी” मानता है, जो तिब्बत को देश (चीन) के बाकी हिस्सों से अलग करने के लिए काम कर रहा है।