मॉस्को, नौ जुलाई (भाषा) ऊर्जा, व्यापार, विनिर्माण और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में भारत-रूस सहयोग को और बढ़ावा देने के उपाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मॉस्को में मंगलवार को होने वाली शिखर वार्ता के केंद्र में हो सकते हैं।
वार्ता में यूक्रेन युद्ध का मुद्दा भी प्रमुखता से उठ सकता है। शीर्ष सूत्रों ने यह भी कहा कि वार्ता में भारतीय पक्ष अपने इस रुख की फिर से पुष्टि कर सकता है कि बातचीत और कूटनीति ही संघर्ष के समाधान का एकमात्र जरिया हैं, क्योंकि युद्ध के मैदान पर कोई हल नहीं निकाला जा सकता।
प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति पुतिन के साथ 22वीं भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक के लिए सोमवार को रूस की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे। यह यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के बाद मोदी की पहली रूस यात्रा है।
पुतिन ने सोमवार रात मॉस्को के बाहरी इलाके में स्थित अपने सरकारी आवास ‘नोवो-ओगरियोवो’ पर मोदी के लिए एक निजी रात्रि भोज का आयोजन किया।
सूत्रों ने कहा कि मोदी की यात्रा के दौरान एक आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाने पर जोर होगा, खासकर ऊर्जा, व्यापार, विनिर्माण और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में।
मॉस्को पहुंचने के कुछ देर बाद मोदी ने कहा कि वह भविष्य के क्षेत्रों में द्विपक्षीय साझेदारी को गहरा करने के लिए उत्सुक हैं और भारत-रूस के बीच मजबूत रिश्तों से “हमारे लोगों को बहुत फायदा होगा।”
वहीं, रूस रवाना होने से पहले जारी बयान में मोदी ने कहा था कि भारत एक शांतिपूर्ण और स्थिर क्षेत्र के लिए ‘सहयोगात्मक भूमिका’ निभाने का इच्छुक है। उनके इस बयान को यूक्रेन संघर्ष के स्पष्ट संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है।
भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की अभी तक निंदा नहीं की है। वह लगातार बातचीत और कूटनीति के माध्यम से संघर्ष के समाधान की वकालत करता आया है।
सूत्रों के मुताबिक, शिखर वार्ता में मोदी के, रूसी सेना में सहायक कर्मियों के रूप में भारतीयों की भर्ती बंद करने और बल में कार्यरत भारतीयों की स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के आग्रह पर रूस मोटे तौर पर सहमत हो गया है।
भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति के बीच वार्षिक शिखर वार्ता दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद प्रक्रिया है।
वार्षिक शिखर वार्ता एक-एक बार भारत और रूस में आयोजित की जाती है।
पिछली शिखर वार्ता छह दिसंबर 2021 को नयी दिल्ली में आयोजित हुई थी। राष्ट्रपति पुतिन इसमें हिस्सा लेने के लिए भारत आए थे।