नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए शेयर ब्रोकिंग कंपनियों को धोखाधड़ी यानी बाजार के दुरुपयोग को रोकने और उसका पता लगाने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करने के लिए कहा है।
सेबी ने बृहस्पतिवार को एक परिपत्र में ब्रोकिंग कंपनियों के लिए कारोबारी गतिविधियों और आंतरिक नियंत्रण की निगरानी के लिए प्रणालियां लागू करने और व्हिसल-ब्लोअर नीति की शुरुआत को अनिवार्य कर दिया है।
ये सभी प्रावधान सेबी (शेयर ब्रोकर) (संशोधन) विनियम, 2024 का हिस्सा हैं जिसका उद्देश्य बाजार की अखंडता और निवेशक सुरक्षा के उच्च मानकों को सुनिश्चित करना है।
नियामक ने परिपत्र में कहा है कि परिचालन के तौर-तरीकों एवं इसके कार्यान्वयन संबंधी मानकों को ब्रोकर उद्योग मानक मंच (आईएसएफ) सेबी के परामर्श से तैयार करेगा।
मानकों का कार्यान्वयन शेयर ब्रोकर के आकार पर निर्भर करेगा। 50,000 से अधिक सक्रिय विशिष्ट ग्राहक कोड (यूसीसी) वाले ब्रोकर के लिए एक जनवरी, 2025 तक इसका अनुपालन करना जरूरी है। इसके अलावा 2,001 से लेकर 50,000 तक सक्रिय यूसीसी वाले ब्रोकर को एक अप्रैल, 2025 तक इसका अनुपालन करना होगा।
वहीं 2,000 तक सक्रिय यूसीसी वाले ब्रोकरों को एक अप्रैल, 2026 तक इसका अनुपालन करना होगा।
इसके अलावा पात्र शेयर ब्रोकर को संचालन और ग्राहक व्यवहार की निगरानी के लिए अपने मौजूदा दायित्वों पर विचार करते हुए एक अगस्त, 2024 तक इन शर्तों का पालन करना होगा।
सेबी ने शेयर बाजारों को इस परिपत्र के प्रावधानों को शेयर ब्रोकरों के ध्यान में लाने और अपनी-अपनी वेबसाइट पर भी इसका प्रचार करने का निर्देश दिया। इसने उन्हें अपने उपनियमों में संशोधन करने का भी निर्देश दिया।
सेबी ने कहा कि इस परिपत्र के प्रावधान जोखिम आधारित, चरणबद्ध तरीके से लागू होंगे ताकि सभी शेयर ब्रोकर इसे सुचारू रूप से अपना सकें और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित कर सकें।