राष्ट्रपति मैक्रों ने चुनाव के बाद ‘देश की स्थिरता’ के लिए प्रधानमंत्री को बरकरार रखा

पेरिस, आठ जुलाई (एपी) फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चुनाव परिणाम के बाद सोमवार को प्रधानमंत्री गैब्रियल अटल के इस्तीफे से इनकार करते हुए उन्हें अस्थायी रूप से सरकार के प्रमुख के रूप में बने रहने के लिए कहा। इस चुनाव परिणाम के बाद सरकार का भविष्य अधर में है।

फ्रांस में कोई भी पार्टी (वाम, मध्यमार्ग या दक्षिणपंथ समर्थक) सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत के नजदीक भी नहीं पहुंच पाई है। रविवार को हुए मतदान के नतीजों से यूरोपीय संघ की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के ठप होने का खतरा बढ़ गया है।

मैक्रों ने दांव खेला कि समय पूर्व चुनाव कराने के उनके फैसले से फ्रांस को एक स्पष्ट दिशा मिलेगी, लेकिन परिणाम बिल्कुल विपरीत आया। पेरिस ओलंपिक के शुरू होने में तीन हफ्ते से कम समय बचा है जब पूरा देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहेगा।

फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था, लेकिन यूरोपीय संघ में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर दी।

फ्रांस का मुख्य शेयर सूचकांक गिरावट के साथ खुला पर जल्द ही इसमें सुधार दिखा, यह संभवत: बाजार के इस डर के कारण था कि वाम या दक्षिणपंथी गठबंधन की निर्णायक जीत हो सकती है।

प्रधानमंत्री गैब्रियल अटल ने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो वह पद पर बने रहेंगे लेकिन सोमवार सुबह उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की, लेकिन मैक्रों ने तुरंत उनसे देश की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए पद पर बने रहने के लिए कहा।

मैक्रों के शीर्ष राजनीतिक सहयोगी राष्ट्रपति भवन में अटल के साथ बैठक में शामिल हुए।

अटल ने रविवार को स्पष्ट किया कि वह अचानक चुनाव कराने के मैक्रों के फैसले से असहमत थे। दो दौर के मतदान के बाद आए नतीजों में पहले स्थान पर रहे वामपंथी गठबंधन, दूसरे स्थान पर रहे मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन या धुर दक्षिणपंथी गठबंधन में से किसी को भी सरकार बनाने का कोई स्पष्ट जनादेश नहीं मिला है।

गंभीरता से बातचीत शुरू करने के लिए नेशनल असेंबली में नवनिर्वाचित और सीट बरकरार रखने वाले सांसदों के एकत्र होने की उम्मीद थी।

मैक्रों स्वयं इस सप्ताह के अंत में वाशिंगटन में नाटो शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रवाना होंगे।

फ्रांस में राजनीतिक गतिरोध का यूक्रेन में युद्ध, वैश्विक कूटनीति और यूरोप की आर्थिक स्थिरता पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। फिर भी, कम से कम एक नेता ने कहा कि नतीजे राहत देने वाले थे।

यूरोपीय संघ की परिषद के पूर्व प्रमुख प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने रविवार देर रात ‘एक्स’ पर लिखा, “पेरिस में उत्साह, मॉस्को में निराशा, कीव में राहत। वारसॉ में खुश रहने की पर्याप्त वजह है।’’

सोमवार तड़के जारी किए गए आधिकारिक चुनाव परिणाम के अनुसार, फ्रांस की दो सदन वाली विधायिका में से सर्वाधिक शक्तिशाली 577 सदस्यीय ‘नेशनल असेंबली’ में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। तीनों ही गठबंधन बहुमत के लिए जरूरी 289 सीट के आंकड़े से बहुत दूर हैं।

चुनाव परिणाम के मुताबिक, पहले स्थान पर रहे वामपंथी गठबंधन ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ को 180 से कुछ अधिक सीट मिली हैं, जबकि मैक्रों के मध्यमार्गी गठबंधन को 160 से अधिक सीट प्राप्त हुई हैं। मरीन ले पेन की धुर दक्षिणपंथी ‘नेशनल रैली’ और उसके सहयोगी तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें 140 से अधिक सीट पर विजय मिली। नेशनल रैली का प्रदर्शन वर्ष 2022 के प्रदर्शन से अच्छा है जब पार्टी को केवल 89 सीट प्राप्त हुई थीं।

राष्ट्रपति मैक्रों का कार्यकाल पूरा होने में अभी तीन साल शेष हैं।

फ्रांस के लिए त्रिशंकु संसद एक अनजान चीज है। धुर दक्षिणपंथी समर्थक 66 वर्षीय ल्यूक डौमोंट ने कहा, ‘‘निराशाजनक, निराशाजनक। लेकिन हम अपनी प्रगति देखकर खुश हूं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से हम बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।’’

‘नैशनल रैली’ की नेता ले पेन, जिनके 2027 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति पद के लिए चौथी बार चुनाव लड़ने की उम्मीद थी, ने कहा कि चुनावों ने ‘कल की जीत’ की नींव रख दी है।

रूसी दुष्प्रचार अभियानों के साथ-साथ नस्लवाद और यहूदी विरोधी भावना ने चुनाव अभियान को प्रभावित किया और 50 से अधिक उम्मीदवारों पर शारीरिक हमला होने की सूचना मिली जो फ्रांस के लिए बेहद असामान्य बात है।

यूरोप के अन्य देशों के विपरीत, जो गठबंधन सरकारों के अधिक आदी हैं, फ्रांस में प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक खेमों के सांसदों द्वारा बहुमत पाने के लिए एक साथ आने की परंपरा नहीं है। फ़्रांस कई अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक केंद्रीकृत है।