नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के निर्वाचन को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी जानी चाहिए।
हालांकि, अदालत ने इस मुद्दे पर एक चुनाव याचिका 28 अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध की है।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “ यह इस उच्च न्यायालय में कैसे सुनवाई योग्य है? निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य में है। आपके लिए बेहतर है कि आप (याचिका) वापस लें और उस उच्च न्यायालय के पास जाएं, जिसके अधिकार क्षेत्र में यह है।”
न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘‘ यह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।”
अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह प्रिंस राज और उनके सहयोगियों के “कहने” पर कथित यौन उत्पीड़न की शिकार हुईं, जिनमें उनके चचेरे भाई (चिराग) पासवान भी शामिल थे और उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय इस “आपराधिक पृष्ठभूमि” का खुलासा नहीं किया था।
याचिका में बताया गया कि कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में 2021 में एक प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है। याचिका में कहा गया है कि गलत हलफनामा दाखिल करना या आपराधिक मामलों के संबंध में हलफनामे में कोई जानकारी छुपाना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए का उल्लंघन है और इसके लिए छह महीने की कैद का प्रावधान है।
निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि चूंकि चुनाव बिहार में हुआ था, इसलिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका यहां विचारणीय नहीं है।
केंद्र की ओर से मामले में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने दलील दी कि कानून के अनुसार सिर्फ निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता या उम्मीदवार ही निर्वाचन को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकता है और याचिकाकर्ता दोनों में से किसी भी श्रेणी में नहीं आती है।