नयी दिल्ली, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बृहस्पतिवार को विपक्षी नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने संसद में केंद्रीय बजट पर बहस के दौरान महत्वपूर्ण पहलुओं पर बोलने के बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गाली देना शुरू कर दिया।
यहां एक संवाददाता सम्मेलन में रीजीजू ने कहा कि जिस तरह से कुछ विपक्षी नेताओं ने अपने भाषण दिए, वह सदन का अपमान करने और बजट सत्र की गरिमा को कम करने जैसा है।
रीजीजू ने कहा, ‘‘हमें लोगों के जनादेश का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री मोदी को जनादेश दिया है। अगर कोई जनता के फैसले का अपमान करने की कोशिश करता है तो उसे चुनावों में सजा मिलेगी।’’
विपक्षी दलों के सदस्यों ने कल संसद में बजट पर चर्चा के दौरान दावा किया कि केंद्रीय बजट में गैर-राजग शासित राज्यों के साथ ‘भेदभाव’ किया गया है और प्रधानमंत्री एक ‘अस्थिर और कमजोर’ गठबंधन सरकार चला रहे हैं।
बुधवार को लोकसभा में 2024-25 के बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान, विभिन्न विपक्षी सदस्यों ने सरकार पर उसके प्रमुख सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) को रियायतें देने का आरोप लगाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकार को अपने गठबंधन सहयोगियों से कोई बाधा न हो।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हाल ही में संपन्न आम चुनाव में बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी। बिहार की जनता दल (यूनाईटेड) और आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के समर्थन से यह सरकार बनी है। दोनों दल लंबे समय से अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं।
रीजीजू ने कहा कि चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब ध्यान विकसित भारत की दिशा में काम करने और केंद्रीय बजट पर रचनात्मक चर्चा करने पर होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने कहा है कि चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब समय है कि राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर देश के लिए मिलकर काम किया जाए।’’
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विपक्षी नेताओं ने बजट पर कुछ नहीं कहा बल्कि वे बुधवार को शुरू हुई बजट पर चर्चा के दौरान सिर्फ राजनीति में लिप्त रहे।
रीजीजू ने कहा, ‘‘उन्होंने लोगों के जनादेश का अपमान किया है। विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री को गाली दी है।’’
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं को चाहिए कि वे अपने अपने सदस्यों को संसद में हंगामा न करने और बजट सत्र के दौरान सभ्य और संवेदनशील बहस करने का निर्देश दें।