चमत्कारी यंत्र- श्रीयंत्र

श्री यंत्र अपने आप में एक श्रेष्ठ यंत्र है। आर्थिक उन्नति तथा भौतिक सुख-सम्पदा के लिए इससे बढ़कर कोई यंत्र नहीं है। लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने तथा व्यापार वृद्धि के लिए श्री यंत्र सर्वश्रेष्ठ है। श्रीयंत्र आर्थिक ऋण से मुक्ति दिलाता है और मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। श्रीयंत्र को केसर मिले हुए दूध से धोकर पूजन स्थल, व्यावसायिक स्थल, कार्यालय, घर अथवा किसी भी शुद्ध स्थान पर लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करना चाहिए। धर्र्मशास्त्रों एवं तांत्रिक ग्रंथों में श्रीयंत्र की महिमा प्रतिपादित करते हुए इस यंत्रराज की संज्ञा से भी विभूषित किया गया हे। श्रीयंत्र साक्षात लक्ष्मी का प्रतीक एवं सर्वविद्य रक्षा का एक साधन है, जो मौत के देवता से भी रक्षा करता है, क्योंकि इसमें अनेक देवी-देवताओं का वास है। जिस घर में श्रीयंत्र स्थापित होता है, वह घर परिवार सर्वत्र मंगलमय सुख एवं शांति अनुभव करता हे। सोने से बना श्रीयंत्र आजीवन, चांदी से बना श्रीयंत्र 22 वर्ष, तांबे से बना श्रीयंत्र 12 वर्ष तथा भोजपत्र पर लिखित श्रीयंत्र 6 वर्ष तक शुभ फल देता है। श्रीयंत्र के सम्मुख प्रतिदिन सामान्य रूप से धूप, अगरबत्ती तथा घी का दीपक जलाने से लक्ष्मी जी की पूजा हो जाती है। इस प्रकार लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को संतुष्ट करेंगी। प्रत्येक कार्य में अनुकूल सफलता प्राप्त होती है जो व्यक्ति रोजाना स्नान करता है, स्वच्छ वस्त्र धारण करता है, अच्छे विचार रखता है, दूसरी स्त्रियों पर कुदृष्टि नहीं रखता, श्रीयंत्र इस व्यक्ति को अधिक लाभ देता है। सदाचारी, विद्वान, धर्मज्ञ, अपने माता-पिता की सेवा करने वाला, रोज पुण्य प्राप्त करने वाला, क्षमा करने वाला, बुद्धिमान, दयावान तथा गुरु की सेवा करने वाले व्यक्ति के घर श्रीयंत्र अधिक लाभ देता है।
 
 *कुबेर यंत्र* 
 
जिन लोगों पर निरंतर कर्जा बना रहता है, व्यापार में लगाया धन डूब जाता है, व्यापार नहीं चलता हो, घर में बरकत न होती हो, दरिद्रता कभी साथ नहीं छोड़ती हो, किये गये कर्म या मेहनत का पूर्ण फल न मिलता हो तो उनको श्री कुबेर की आराधना अवश्य करनी चाहिए। यदि अपने कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करते हुए श्री कुबेर की उपासना की जाये व कुबेर यंत्र पूजा घर में स्थापित किया जाये तो वे निश्चित प्रसन्न होकर व्यापार वृद्धि, धन वृद्धि, ऐश्वर्य, लक्ष्मी कृपा प्रदान कर घर में सुख-समृृद्धि एवं सौभाग्य में वृद्धि करते हैं। कुबेर की उपासना वैसे तो कभी भी की जा सकती है, परंतु होली, दीपावली या शुक्रवार को की जाये तो अतिशीघ्र उत्तम फल प्राप्त होते देखे गये हैं।
 
 *सरस्वती यंत्र* 
 
वर्तमान समय में शिक्षा का बहुत अधिक महत्व बढ़ गया है। आज के समय में यदि व्यक्ति अच्छी प्रकार से शिक्षित नहीं है, तो व्यक्ति की अपने कार्य क्षेत्र में अधिक उन्नति करने की संभावना कम रहती है। पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपनी उान्नति तथा अधिकारों के प्रति अधिक सजग होता है। कई ऐसे व्यक्ति भी होते हैं, जिनके पास उत्तम शिक्षा प्राप्त करने के लिए धन होते हुए भी अनेक रूकावटें आती रहती हैं। वे उत्तम शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में एस्ट्रो वल्र्ड द्वारा सिद्ध करवाया गया सरस्वती यंत्र शिक्षामें आने वाली बाधाएं दूर करता है। इसके साथ ही एस्ट्रो वल्र्ड ने सरस्वती कवच भी तैयार करवाया है, जिसमें 6 मुखी नेपाली रूद्राक्ष व शुद्ध पन्ना चांदी में जड़वाकर शुद्ध करवाया गया है, जिसमें धारण से शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। जिससे बच्चों का मन पढ़ाई की ओर लगने लग जाता हे। सरस्वती यंत्र स्थापित करने व रूद्राक्ष+रत्न कवच धारण करने से विद्यार्थियों को बहुत लाभ मिलेगा।
 
 *महामृत्युंजय यंत्र* 
 
सम्पूर्ण जीवन काल में मनुष्य किसी ना किसी व्याधि से ग्रसित रहता है। चाहे वह शारीरिक रोग हो या मानसिक, हमारे शरीर पर अपना प्रभाव डालते हैं। नई-नई बीमारियां मानव जीवन के लिए चुनौतियां बन गई हैं। ऐसे में जहां आधुनिक चिकित्सा प्रणाली अक्षम होती है, वहां हमारे प्राचीन ऋषियों के द्वारा विकसित यंत्र, मंत्र और ज्योतिष चिकित्सा प्रणालियां काम करती हैं। हमारे वेद शास्त्रों में सभी रोगों से मुक्ति के लिए महामृत्युजंय यंत्र और मंत्र की साधना का विशेष महत्व बताया गया है। महामृत्युजंय यंत्र की स्थापना करके नित्य दर्शनपूजन करके कोई भी व्यक्ति जीवन में आरोग्यता प्राप्त कर सकता है। इससे शारीरिक शक्ति प्रबल होती है, जिससे व्यक्ति को रोग होने की संभावना नहीं रहती। महामृत्युजंय यंत्र केवल शारीरिक तथा मानसिक व्याधियों से ही नहीं, मृत्यु से भी रक्षा करता है।
 
 
 
 *मंगल यंत्र* 
 
जन्मकुंडली में यदि मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश स्थान में हो तो मांगलिक दोष माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल को क्रूर व अशुभ ग्रह माना है। यह दुर्घटना, चोर, रक्त संबंधी दोषों, क्रूरता, चोरी, डकैती आदि का कारक होता है। शुभ होने पर यह बल, क्षमता तथा सम्पत्ति में वृद्धि करता है और जातक को जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता बड़ी आसानी से मिलती चली जाती है। जन्मपत्री मिलान में मांगलिक दोष को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है तथा इस दोष को परिहार परम आवश्यक होता है। विवाह में अनावश्यक देरी तथा दाम्पत्य जीव में तनाव व लड़ाई झगड़ा मांगलिक दोष के अनिष्ट परिणामों में सम्मिलित है। मांगलिक दोष के अनिष्ट प्रभाव को कम करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय किये जाते हैं। मंगलग्रह से संबंधित दोष निवारण का एक उपाय ‘श्री मंगल यंत्र’ भी है।
 
 *वास्तु दोष निवारण यंत्र* 
 
घर का निर्माण करते समय वास्तु विज्ञान की अज्ञानता के कारण बहुत से अशुभ तत्वों का समावेश हो जाता है, जिन्हें हम वास्तुदोष के नाम से जानते हैं। वास्तुदोष से ग्रहस्वामी को विभिन्न प्रकार की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक यहां तक कि जीवन मृत्यु जैसे कष्टों तक का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार की व्याधियों से बचने हेतू हमारे पूर्वाचायों ने प्रकृति की अनमोल देन सूर्य की किरणों, हवा का रूख और पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति आदि का उपयोग करना बताया है। जिसे हम वास्तु शास्त्र के नाम से जानते हैं। यदि निर्मित आवास में बिना किसी प्रकार की तोड़-फोड़ में वास्तुदोष को दूर किया जा सके, तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। बिना किसी तोड़-फोड़ के वास्तुदोष निवारण यंत्र के लिए हम वास्तुदोष निवारण प्रयोग कर सकते हैं।
 
 *बगलामुखी यंत्र* 
 
यह समय घोर प्रतिस्पर्धा का है। हर व्यक्ति दूसरों के सुख से दुखी है। भाई-भाई से ईर्ष्या, वैर-विरोध, आस-पड़ोस में लड़ाई-झगड़े, व्यापारियों से प्रतिस्पर्धा, सहयोगी कर्मचारियों से आगे निकलने की होड़ में व्यक्ति दूसरों के लिए शत्रु बनता चला जाता है। यह दुश्मनी बढ़ती-बढ़ती मारपीट, हत्या, कोर्ट-कचहरी के मामले में बदल जाती है। ऐसे में हर समय घात-प्रतिघात का भय बना रहता है। हमारे पवित्र ग्रंथों में इसके निवारण के लिए घर के मंदिर में बगलामुखी यंत्र लगाने का विधान बताया गया है। श्री  बगलामुखी यंत्र जीवन में शत्रु, कष्ट, कोर्ट-कचहरी, टोना-टोटका से मुक्ति आदि से मुक्ति देकर हमारी रक्षा करता है।
 
 *संतान गोपाल यंत्र* 
 
नि:संतान होने का दुख वही समझ सकता है, जिसकी गोद अब तक सूनी हो अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए संतान उत्पन्न करना ही पति-पत्नी का धर्म होता है, लेकिन दुर्भाग्यवश यदि उचित प्रयासों के पश्चात भी संतान ना हो तो इसका दुख बहुत होता है। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं कि संतान भी केवल पुत्र ही चाहिए, पुत्री नहीं। बहुत सी स्त्रियों को संतान सुख इसलिए नहीं मिल पाता कि बार-बार उनका गर्भपात हो जाता है। इस स्थिति में ना ही पुरुष कुछ कर पाता है ना ही कुछ स्त्री कर पाती है। यदि आपको किसी प्रकार की संतान से जुड़ी समस्याएं आ रही हैं तो आप ‘संतान गोपाल यंत्र’ पूजाघर में स्थापित कर सकते हैं।