कोटक ने निवेशकों को अदाणी के शेयरों से लाभ दिलाने के लिए विदेशी कोष बनाया: हिंडनबर्ग
Focus News 2 July 2024नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ एवं निवेश शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया है कि अरबपति बैंकर उदय कोटक ने बैंक के साथ-साथ ‘ब्रोकरेज’ कंपनी की स्थापना की और एक अज्ञात निवेशक द्वारा इस्तेमाल किए गए विदेशी कोष की देखरेख की, जिसका इस्तेमाल अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट से लाभ उठाने के लिए किया गया।
हिंडनबर्ग ने जनवरी, 2023 में अदाणी समूह पर शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके बाद अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। इस रिपोर्ट के लिए अमेरिकी कंपनी को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कारण बताओ नोटिस भी मिला है।
अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने कहा कि उसने खुलासा किया था कि उसने समूह के खिलाफ दांव लगाया और उसे केवल 40 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक का लाभ हुआ।
सेबी के कारण बताओ नोटिस को ‘‘धमकाने का प्रयास’’ करार देते हुए हिंडनबर्ग ने पूछा कि बाजार नियामक ने कोटक का नाम क्यों नहीं लिया।
हिंडनबर्ग ने कहा, ‘‘ सेबी के नोटिस में स्पष्ट रूप से उस पक्ष का नाम नहीं बताया गया है जिसका भारत से वास्तविक संबंध है.. ‘कोटक बैंक’ । भारत के सबसे बड़े बैंकों और ‘ब्रोकरेज’ कंपनियों में से एक है। इसकी स्थापना उदय कोटक ने की थी, जिसने हमारे निवेशक साझेदार द्वारा अदाणी के खिलाफ दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए विदेशी कोष ढांचे का निर्माण तथा देखरेख की थी।’’
इसके बजाय नियामक ने केवल के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का नाम रखा और ‘‘कोटक नाम के स्थान पर केएमआईएल नाम रख दिया।’’
केएमआईएल का तात्पर्य कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड से है, जो एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी है।
हिंडनबर्ग ने कहा कि जनवरी, 2023 की रिपोर्ट में, “एक निवेशक संबंध” से बनाई गई ‘शॉर्ट पोजिशन’ से संबंधित लाभ के जरिये करीब 41 लाख डॉलर का सकल राजस्व अर्जित किया गया और ‘‘ अदाणी यूएस बॉन्ड के जरिये करीब 31,000 डॉलर का लाभ कमाया। ..’’
हालांकि, उसने निवेशक के नाम का खुलासा नहीं किया।
सेबी ने हिंडनबर्ग के दावों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। कोटक से भी संपर्क किया गया लेकिन उनका भी तत्काल कोई जवाब नहीं मिला।
हिंडनबर्ग ने कहा, ‘‘ बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने व्यक्तिगत रूप से सेबी की 2017 की ‘कॉरपोरेट गवर्नेंस’ समिति का नेतृत्व किया था। हमें संदेह है कि सेबी द्वारा कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करना शायद एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाने का प्रयास है। सेबी ऐसा करता प्रतीत होता है।’’
अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने कहा कि उसे 27 जून को सेबी से 46 पृष्ठ का कारण बताओ नोटिस मिला।
हिंडनबर्ग ने कहा कि एक निवेशक साझेदार के साथ हुए सौदे के कारण (जो अप्रत्यक्ष रूप से एक गैर-भारतीय) उसके पास अदाणी के कम शेयर थे। निवेशक साझेदार विदेशी कोष संरचना के जरिये अदाणी डेरिवेटिव में कमी कर रहा था।
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को अदाणी समूह पर शेयरों में हेरफेर और लेखांकन धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसे ‘‘कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला’’ करार दिया था। यह रिपोर्ट समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज द्वारा प्रस्तावित 20,000 करोड़ रुपये की शेयर बिक्री से पहले आई थी।
समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया था। उसे उच्चतम न्यायालय से भी राहत मिल गई है। न्यायालय ने कहा था कि इस मामले में समूह को अतिरिक्त जांच का सामना करने की जरूरत नहीं है।
अमेरिकी कंपनी ने बताया कि सेबी ने उसे कारण बताओ नोटिस भेजा है। उसने इस नोटिस को ‘‘बेतुका’’ और ‘‘पूर्व-निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति के लिए गढ़ा गया’’ बताया।
उसने कहा कि यह ‘‘भारत में सबसे शक्तिशाली लोगों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने तथा डराने का प्रयास है।’’
कंपनी ने कहा, ‘‘ डेढ़ साल की जांच के बाद सेबी को हमारे अदाणी शोध में एक भी तथ्यात्मक त्रुटि नहीं मिली। इसके बजाय, नियामक ने उन चीजों पर सवाल उठाया जैसे कि भारतीय नियामकों द्वारा अदाणी प्रवर्तकों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाए जाने के कई पुराने उदाहण का वर्णन करते समय ‘‘घोटाला’’ शब्द का उपयोग करना और एक व्यक्ति का हवाला देना जिसने आरोप लगाया कि सेबी भ्रष्ट है और नियमों से बचने में अदाणी जैसे समूहों के साथ मिलकर काम करता है।’’
अमेरिकी कंपनी ने कहा कि कारण बताओ नोटिस से कुछ सवाल हल हो गए हैं ‘‘ क्या हिंडनबर्ग ने अदाणी को नुकसान पहुंचाने के लिए दर्जनों कंपनियों के साथ काम किया, जिससे करोड़ों डॉलर कमाए? नहीं …हमारे पास एक निवेशक साझेदार था और लागत के बाद हम शायद ही अदाणी ‘शॉर्ट’ पर ‘कुछ लाभ’ से ऊपर आ पाएं।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ अदाणी पर हमारा काम वित्तीय या व्यक्तिगत सुरक्षा के नजरिये से कभी भी उचित नहीं था, लेकिन यह अभी तक का ऐसा काम है जिस पर हमें सबसे अधिक गर्व है।’’
कंपनी ने कहा, ‘‘ आज तक अदाणी (समूह) हमारी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जवाब देने में विफल रहा है। इसके बजाय उन्होंने हमारे द्वारा उठाए गए हर प्रमुख मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए जवाब दिया और बाद में मीडिया में लगाए गए आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है।’’
उसने कहा कि जनवरी, 2023 की रिपोर्ट ने ‘‘ (समूह के चेयरमैन) गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी और करीबी सहयोगियों द्वारा नियंत्रित अपतटीय मुखौटा इकाइयों के एक विशाल नेटवर्क का सबूत प्रदान किया था।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ हमने विस्तार से बताया कि किस तरह इन इकाइयों के जरिये अरबों रुपये चोरी-छिपे अदाणी की कंपनियों में और बाहर भेजे गए, अक्सर संबंधित पक्षों की जानकारी के बिना।’’
उसने बताया कि नियामक ने कहा कि रिपोर्ट में किया गया अस्वीकरण भ्रामक है, क्योंकि कंपनी ‘‘अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय प्रतिभूति बाजार में हिस्सा ले रही थी।’’
इसमें कहा गया, ‘‘ यह कोई रहस्य नहीं था, पृथ्वी पर हर कोई जानता था कि हमारे पास अदाणी के कम शेयर हैं क्योंकि हमने प्रमुखता से और बार-बार इसका खुलासा किया था।’’
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में 150 अरब डॉलर से अधिक की बिकवाली हुई थी। इसका असर यह हुआ था कि 2023 की शुरुआत में दुनिया के दूसरे सबसे अमीर उद्यमी के रूप में सूचीबद्ध गौतम अडाणी शीर्ष 20 से भी बाहर हो गए। हालांकि बाद में समूह ने इस नुकसान की काफी हद तक भरपाई की।