कोलकाता, 13 जुलाई ( भाषा ) पूर्व ओलंपियनों का मानना है कि ओलंपिक खेलों के लिये भारत की तैयारी सतत चलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिये और अधिकारियों को खेलों के कुछ महीने पहले ही नहीं जागना चाहिये ।
इंडियन चैंबर आफ कॉमर्स द्वारा शुक्रवार की रात यहां आयोजित परिचर्चा ‘ इन सर्च आफ ग्लोरी : इंडियाज प्रोस्पेक्टस इन द 2024 ओलंपिक’ में पूर्व ओलंपियनों ने भाग लिया था ।
ओलंपिक 1964 की स्वर्ण पदक विजेता और 1968 की कांस्य पदक विजेता हॉकी टीम के सदस्य रहे गुरबख्श सिंह ने कहा ,‘‘ ओलंपिक आने पर ही हम जागते हैं , पूरा देश जागता है । यह रवैया बदलना चाहिये ।’’
हॉकी में 2024 ओलंपिक में भारत की संभावना के बारे में उन्होंने कहा ,‘‘ हमें कठिन पूल मिला है । पहला लक्ष्य सेमीफाइनल में पहुंचना होना चाहिये । सिर्फ जीत की सोच के साथ मैदान पर उतरना होगा ।’’
जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने कहा ,‘‘ अपने भीतर सब कुछ हासिल करने की इच्छाशक्ति होनी चाहिये ।’’
रियो ओलंपिक 2016 में कांस्य पदक से मामूली अंतर से चूकी करमाकर ने कहा ,‘‘ चौथे स्थान पर रहने के बाद मैचे कोच बिश्वेश्वर नंदी सर से कहा कि मुझ पर भरोसा करने वाले करोड़ों भारतीयों का सामना कैसे करूंगी । उन्हें मुझसे इतनी अपेक्षायें थी । मैं सीधे अगरतला जाना चाहती थी लेकिन उन्होंने कहा कि पूरा देश तुम्हारा इंतजार कर रहा है ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ और मेरे आने के बाद जिस तरह से स्वागत हुआ, मैं दंग रह गई । मुझे याद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कितने प्रेरक शब्द कहे थे और उन्हें मेरे प्रदर्शन के हर मिनट की तफ्सील से जानकारी थी ।’’
नंदी ने कहा ,‘‘ भारत में जिम्नास्टिक पांच या छह राज्यों में ही खेला जाता है । इसमें बदलाव जरूरी है ताकि दीपा के नक्शे कदम पर और भी युवा चल सकें।’’
पूर्व ओलंपियन तीरंदाज राहुल बनर्जी ने कहा कि एक खिलाड़ी को हमेशा नाकामियों से सीखना चाहिये ।
उन्होंने कहा ,‘‘ अगर आप पहला टूर्नामेंट जीतते हैं तो जश्न मनाते हैं और दूसरा हारने पर आपको नाकाम करार दिया जाता है ।’’