नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) विश्व धरोहर समिति के अध्यक्ष विशाल वी. शर्मा ने कहा है कि भारत का हालिया अतीत ‘विकास भी, विरासत भी’ के अनुरूप रहा है और इसने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण को एक नया आयाम दिया है।
यहां विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र से इतर पीटीआई की वीडियो सेवा को दिए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि चार वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद भारत में समिति का सत्र आयोजित कराया गया है।
भारत पहली बार, भारत मंडपम में 21 जुलाई से 31 जुलाई तक इस अहम यूनेस्को कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
शर्मा समिति के मौजूदा अध्यक्ष हैं और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व धरोहर समिति की बैठक का आयोजन करने के लिए काफी प्रयास की जरूरत होती है। लेकिन यह भारत की संगठनात्मक क्षमताओं, बुनियादी ढांचे, वैश्विक नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रदर्शित करता है।’’
विश्व धरोहर समझौते पर 195 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।
शर्मा ने कहा, ‘‘धरोहर के मामले में हम वैश्विक महाशक्ति हैं। उस परिप्रेक्ष्य से, भविष्य बहुत उज्ज्वल है क्योंकि हम दो चीजें चाह रहे हैं –युवा पीढ़ी को प्रेरित करना और धरोहर के प्रति प्रत्येक भारतीय में जागरूकता पैदा करना।’’
यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने ‘दीवार’ फिल्म के मशहूर संवाद को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘मेरे पास संस्कृति है, संस्कृत है, संस्कार है…।’’
भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर सूची के 42 स्थल हैं और 2023-24 के लिए भारत की ओर से असम के ‘मोइदम’ को नामित किया गया है।
शर्मा ने उम्मीद जताई कि असम में अहोम राजवंश के सदस्यों को टीले पर दफनाने की प्रथा ‘मोइदम’ को भी इस सूची में शामिल कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत का हालिया अतीत आत्मविश्वास से भरा रहा है, ‘विकास भी, विरासत भी’ केंद्र में रहा है, और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन को एक नया आयाम मिला है।’’