नयी दिल्ली, नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने अनिवार्य सुरक्षा मंजूरी आवश्यकताओं सहित हवाई अड्डों पर विमान संचालन सेवा प्रदाताओं के लिए सुरक्षा मानदंड जारी किए हैं।
डीजीसीए ने यह कदम हवाई यातायात में वृद्धि के बीच हवाई अड्डों पर विमानों का सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत उठाया है।
कुछ हवाई अड्डों पर विमान को नुकसान पहुंचने की घटनाओं की पृष्ठभूमि में भी ये नियम बनाए गए हैं।
डीजीसीए ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि नया ‘सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट्स’ (सीएआर) विस्तृत परामर्श के बाद तैयार किया गया है जो निगरानी तंत्र को मजबूत करेगा।
इसमें हवाई हड्डों के उन कर्मियों के प्रशिक्षण व दक्षता की जरूरतों का भी उल्लेख किया गया है जो वहां विमानों के संचालन का हिस्सा होते हैं।
‘ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस प्रोवाइडर्स’ (जीएचएसपी) को डीजीसीए से छह महीने के अंदर सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करनी है। छह महीने की यह अवधि आठ जुलाई से शुरू हुई है जब नियामक ने सीएआर जारी किया था।
विज्ञप्ति के अनुसार, हवाई अड्डा सेवा प्रदाताओं द्वारा लागू किया जाने वाला मजबूत सुरक्षा तंत्र हवाई अड्डों पर विमान संचालन के दौरान प्रतिकूल घटनाओं की रोकथाम करने और उनमें कमी लाने में मदद करेगा।
नए नियमों के तहत, इन सेवा प्रदाताओं को जवाबदेह प्रबंधक, स्टेशन प्रबंधक और सुरक्षा प्रबंधक नियुक्त करने होंगे। अन्य चीजों में, हवाई अड्डा कर्मियों को अद्यतन प्रशिक्षण हासिल करना होगा।
विमान परिचालन में अभूतपूर्व वृद्धि और हवाई अड्डों पर विमानों के संचालन में तीसरे पक्ष की भूमिका बढ़ने को ध्यान में रखते हुए डीजीसीए ने कहा कि भारतीय हवाई अड्डों पर विमानों के रखरखाव में शामिल जीएचएसपी के लिए सुरक्षा मानक स्थापित करना अनिवार्य हो गया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो अब तक किसी भी मौजूदा नियमन के तहत शामिल नहीं था।
बड़े विमान और हवाई अड्डों पर सहायक उपकरणों की संख्या में वृद्धि जैसे कारक परिचालन सुरक्षा चुनौती को बढ़ाते हैं।
डीजीसीए ने कहा कि विमानन उद्योग के अन्य क्षेत्रों के विपरीत ‘ग्राउंड हैंडलिंग’ क्षेत्र वर्तमान में उड़ान परिचालन, हवाई यातायात प्रबंधन और हवाई अड्डा संचालन जैसे क्षेत्रों में विनियमन के तहत नहीं है।
इसने कहा कि इसलिए हवाई अड्डों पर विमानों की परिचालन सुरक्षा हासिल करना आवश्यक हो गया है।