विरासत का विकास, विकास की विरासत का निर्माण ‘विकसित भारत’ की संकल्पना में विशेष महत्व रखता है: मोदी

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नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें अधिक मजबूती से लोक कल्याण के समन्वित और मजबूत प्रयासों में जुट जाती हैं तो ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य निश्चित तौर से हासिल किया जा सकता है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशासन प्रकोष्ठ के संयोजक विनय सहस्रबुद्धे की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने कहा कि विरासत का विकास करना और विकास की विरासत का निर्माण करना ‘विकसित भारत’ की संकल्पना में विशेष महत्व रखता है।

प्रधानमंत्री यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों के 13 मुख्यमंत्रियों और 15 उपमुख्यमंत्रियों की दो दिवसीय बैठक के दूसरे दिन उन्हें संबोधित कर रहे थे।

मोदी ने देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के अपनी सरकार के एजेंडे के बारे में विस्तार से चर्चा की और कल्याणकारी उपायों में जनता की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया।

सहस्रबुद्धे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विभिन्न समूहों को लक्षित करते हुए सरकारी योजनाओं की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर भी जोर दिया।

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और जे पी नड्डा सहित वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने ‘मुख्यमंत्री परिषद’ में भाग लिया। इसका आयोजन समय-समय पर होता रहता है और इसमें बड़े पैमाने पर शासन के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई शिक्षा नीति और इसके क्रियान्वयन में राज्यों की भूमिका के बारे में बात की।

बैठक के दौरान विभिन्न राज्यों ने अपनी कुछ प्रमुख व महत्वाकांक्षी योजनाओं पर प्रस्तुति दी।

मुख्यमंत्रियों समेत भाजपा नेताओं के साथ बातचीत में मोदी ने अक्सर कल्याणकारी योजनाओं की कवरेज सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा है कि पार्टी शासित राज्यों को सुशासन के उदाहरण के तौर पर देखा जाना चाहिए।

उन्होंने शनिवार को कहा, “हमारी पार्टी सुशासन को आगे बढ़ाने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।’’

भाजपा द्वारा नियमित अंतराल पर आयोजित ‘मुख्यमंत्री परिषद’ का उद्देश्य राज्यों में प्रमुख योजनाओं की समीक्षा करना, शासन के सर्वोत्तम तौर-तरीकों और केंद्र सरकार की कल्याणकारी पहल को लागू करना है।

बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा, राजस्थान के भजनलाल शर्मा और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी शामिल हुए।

मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, हरियाणा, मणिपुर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने भी विचार-विमर्श में हिस्सा लिया।