कोलकाता, पश्चिम बंगाल सरकार ने वहनीय मूल्यों पर आलू बेचने के लिए स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की सहायता लेने का निर्णय लिया है। एक मंत्री ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सरकार ने यह कदम दूसरे राज्यों के कारोबारियों को आलू बेचने के कारण प्रशासन के कथित उत्पीड़न के विरोध में व्यापारियों की हड़ताल के चलते उठाया है।
राज्य के कृषि विपणन मंत्री बेचाराम मन्ना ने कहा कि व्यापारियों की हड़ताल के कारण आलू की आपूर्ति बाधित न हो, इसक लिए यह निर्णय लिया गया है और सरकार पिछले कुछ दिनों से इसकी बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए उपाय कर रही है।
मन्ना ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘आलू की स्थिर आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार ने सुफल बांग्ला नेटवर्क के साथ एसएचजी को शामिल करने का निर्णय लिया है, जिसके लगभग 500 निर्धारित या सचल बिक्री केंद्र हैं। हम ‘कोल्ड स्टोरेज’ में अपने 20 प्रतिशत आलू का उपयोग करेंगे। कोल्ड स्टोरेज इकाइयों से वे 26 रुपये प्रति किलोग्राम पर आलू की आपूर्ति करेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आपूर्ति बाधित न हो।’’
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल में अधिकारियों को आलू सहित सब्जियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया था। जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित ‘कार्य बल’ बाजारों में छापेमारी कर रही है।
एक अधिकारी ने कहा, इससे बाजार में आलू की कीमतें थोड़ी कम हो गई हैं, लेकिन व्यापारियों की हड़ताल से आलू की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
बाजारों में आलू का खुदरा मूल्य 35 रुपये से लेकर 38 रुपये प्रति किलोग्राम तक है।
प्रगतिशील आलू व्यापारी संघ (पीपीटीए) के सदस्य आगे की रणनीति तय करने के लिए दिन में एक बैठक करेंगे।
पीपीटीए सचिव लालू मुखर्जी ने कहा, ‘‘हम अगली कार्रवाई तय करने के लिए आज बैठक करेंगे। राज्य सरकार की ओर से समाधान का आश्वासन मिला है, हड़ताल वापस ली जा सकती है।’’
उन्होंने कहा कि व्यापारी सस्ती कीमत पर आलू बेचने के खिलाफ नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम विशेष आकार के आलू का निर्यात कर रहे हैं जिनकी राज्य में खपत नहीं होती है। अगर राज्य बिना छटाई और ग्रेडिंग के 26 रुपये प्रति किलोग्राम पर आलू खरीदता है तो हम निर्यात नहीं रोकेंगे।’’