नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) अदाणी समूह दिसंबर, 2026 तक चार अरब अमेरिकी डॉलर की पॉलिविनाइल क्लोराइड (पीवीसी) परियोजना के पहले चरण को चालू करने के साथ पेट्रोरसायन क्षेत्र में उतरेगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि यह क्षेत्र ऐसा है जिसमें घरेलू मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है।
पॉलिविनाइल क्लोराइड (पीवीसी)- दुनियाभर में बनाया जाने वाला तीसरा सबसे सामान्य सिंथेटिक प्लास्टिक पॉलिमर है। इसका उपयोग रेनकोट, शॉवर कर्टेन, खिड़की के फ्रेम, इनडोर प्लंबिंग के लिए पाइप, चिकित्सा उपकरण, तार और केबल इन्सुलेशन, बोतल, क्रेडिट कार्ड और फ्लोरिंग जैसे उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है।
भारत की सालाना पीवीसी मांग लगभग 40 लाख टन है लेकिन घरेलू उत्पादन क्षमता केवल 15 लाख टन है। इस वजह से मांग और आपूर्ति में काफी अंतर रहता है। खपत बढ़ने के साथ यह अंतर और बढ़ेगा। अदाणी समूह इस क्षेत्र में उतरकर लाभ उठाना चाहता है।
समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज गुजरात के मुंदड़ा में एक पेट्रोरसायन ‘क्लस्टर’ स्थापित कर रही है। मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने बताया कि कंपनी का इरादा इस क्लस्टर के अंदर 20 लाख टन सालाना क्षमता वाला पीवीसी संयंत्र लगाने का है। इस संयंत्र को कई चरणों में स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसका शुरुआती चरण दिसंबर, 2026 तक चालू होने की उम्मीद है। इस दौरान संयंत्र की उत्पादन क्षमता सालाना 10 लाख टन की होगी।
समूह ने पिछले साल मार्च में इस परियोजना को रोक दिया था। समूह ने कहा था कि वित्तीय संसाधन जुटने तक उसने प्रमुख उपकरण खरीद और साइट निर्माण गतिविधियों को बंद करने का फैसला किया है। इसके बाद अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट में अदाणी समूह की कंपनियों पर वित्तीय और लेखांकन धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
हालांकि, अदाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था लेकिन यह रिपोर्ट आने के बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी।
इसके बाद समूह ने वापसी के लिए रणनीति बनाई। इसके तहत उसने इक्विटी के रूप में पांच अरब डॉलर और कर्ज के रूप में इससे दोगुनी राशि जुटाई। साथ ही उसने अपने कुछ कर्ज का भु्गतान किया।
बाजार का भरोसा फिर कायम होने के बाद अदाणी समूह ने पेट्रोरसायन संयंत्र पर काम फिर शुरू किया।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में ऋणदाताओं का गठजोड़ इस परियोजना का वित्तपोषण कर रहा है।