मौद्रिक नीति समिति में अब बढ़ने लगी हैं रेपो दर में कटौती को लेकर आवाजें

मुंबई, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ब्याज दर निर्धारण समिति में नीतिगत दर रेपो में कटौती को लेकर आवाजें उठ रही हैं। समिति के एक सदस्य जयंत आर वर्मा लंबे समय से प्रमुख नीतिगत दर में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कटौती की वकालत कर रहे हैं। अब समिति की बाहरी सदस्य आशिमा गोयल भी इस मांग में शामिल हो गई हैं।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक में एक बार फिर रेपो दर को यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया है। हालांकि, इस बार समिति के छह में से दो सदस्यों ने ब्याज दर में कटौती की वकालत की है।

केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एमपीसी की बैठक के वक्तव्य के अनुसार, “डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवव्रत पात्रा और शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया।”

वहीं डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर वर्मा ने नीतिगत रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती के लिए मतदान किया।”

गोयल, वर्मा और भिड़े एमपीसी के बाहरी सदस्य हैं। रंजन, पात्रा और दास रिजर्व बैंक के अधिकारी हैं।

फरवरी, 2024 और दिसंबर, 2023 की एमपीसी बैठकों में वर्मा ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का मामला उठाया था। इस बार गोयल भी इसमें शामिल हुईं और उन्होंने दर में कटौती के लिए मत दिया।

ब्याज दरों में कटौती की वकालत करने वाले दो सदस्यों की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब स्विट्जरलैंड, स्वीडन, कनाडा और यूरो क्षेत्र जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के कुछ केंद्रीय बैंकों ने 2024 के दौरान ब्याज दरों में ढील देने का चक्र शुरू कर दिया है।

दूसरी ओर, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बाजार उम्मीदें अब कम हो गई हैं।

मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए गवर्नर दास ने कहा कि एक राय यह है कि मौद्रिक नीति के मामले में रिजर्व बैंक ‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व का अनुसरण करें’ के सिद्धांत से निर्देशित होता है।

दास ने कहा, “मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहूंगा कि हम इस बात पर नजर रखते हैं कि दूर क्षितिज पर बादल बन रहे हैं या छंट रहे हैं, लेकिन हम स्थानीय मौसम और पिच की स्थिति के अनुसार ही खेल खेलते हैं।”

उन्होंने कहा, “दूसरे शब्दों में, जहां हम उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति का भारतीय बाजारों पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करते हैं, हमारी कार्रवाइयां मुख्य रूप से घरेलू वृद्धि-मुद्रास्फीति की स्थिति और दृष्टिकोण से निर्धारित होती हैं।”

भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार आठवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा।