अच्‍छी एक्टिंग का मतलब, विद्या बालन

अभिनय का पावर हाउस कहलाने वाली विद्या बालन हर किरदार में आसानी के साथ ढल जाने के लिए मशहूर रही हैं। ’लगे रहो मुन्नाभाई’ (2006) ’गुरू’ (2007) ’है बेबी’ (2007) या ’पा’ (2009) हो, या ’इश्किया’ (2010) या  फिर, ’द डर्टी पिक्चर’ (2011), वह हर किरदार में जान फूक देती हैं। उनकी बेहतरीन एक्टिंग के दम पर, इंडस्ट्री में उन्हें  एक खास पहचान मिली है।

1 जनवरी, 1979 को मुंबई में पैदा हुई विद्या बालन का बचपन मुंबई के पूर्वी उप नगर चैम्बूर में बीता। विद्या बालन की मां ने खुद कभी, एक एक्ट्रेस बनने का सपना, अपने मन में संजोया था और उसी सपने को लेकर विद्या बड़ी हुईं।

लेकिन उन्हें  शबाना आजमी स्मिता पाटिल जैसी दिग्गज अभिनेत्रियों की बराबरी तक आने के लिए काफी सब्र और संघर्ष करना पड़ा। कैरियर की शुरूआत में उन्हें काफी रिजेक्शन झेलने पड़े।

अपने कॉलेज के दौरान विद्या बालन ने टीवी शो ’लाबेला’ के लिए ऑडिशन दिया। उन्हें  साइन भी कर लिया गया लेकिन कुछ ऐपीसोडस के बाद ही वह शो बंद हो गया। इसके बाद उन्हें  एकता कपूर के धारावाहिक ’हम पांच’ के जरिए  एक्टिंग के मैदान में पांव जमाने का अवसर मिल सका।

‘हम पांच’ खत्‍म होने के बाद विद्या बालन ने एड फिल्में करना शुरू किया . तभी मोहनलाल के साथ एक मलयालम फिल्म का ऑफर मिला लेकिन बदकिस्‍मती से वह फिल्‍म शुरू नहीं हो सकी। उसके बाद उन्हें ‘जिंक्‍स’  मान लिया गया और ऐसे में उनके हाथ में आने वाले कई प्रोजेक्ट्स निकल गए।

कठिन समय में विद्या ने एड फिल्में करना जारी रखा। उसके बाद उन्हें बंगाली फिल्म ’बालो ठेको’ (2003) मिली। इसके जरिए उन्‍होंने सिल्‍वर स्‍क्रीन पर पहली दस्‍तक दी।

विदया के साथ कुछ एड फिल्‍में कर चुके प्रदीप सरकार ने उन्हें ’परिणीता’ (2005) के लिए चुना। इस फिल्‍म के जरिए उन्‍होंने बॉलीवुड स्क्रीन पर पहला कदम रखा।

फिल्म ’परिणीता’ (2005) में विद्या बालन ने कमाल ही कर दिया। फिल्म में उनके काम की खूब तारीफ हुई। इस फिल्म के लिए उन्हें राइजिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। और इस तरह उनके कैरियर की गाड़ी चल निकली।

फिर उन्‍होंने  ’लगे रहो मुन्नाभाई’ (2006) ’गुरू’ (2007) ’है बेबी’ (2007) ’पा’ (2009) ’इश्किया’ (2010) ’द डर्टी पिक्चर’ (2011) ’कहानी’ (2012) ’तुम्हारी सुलु’ (2017) ’मिशन मंगल’ (2019)  ’शकुंतला देवी’ (2020) और ’शेरनी’ (2021)  जैसी एक्टिंग ओरियंटेड फिल्मों की झड़ी सी लगा दी।

’द डर्टी पिक्चर’ (2011) में विद्या बालन ने साउथ सिनेमा की सैक्सी सायरन सिल्क स्मिता का रोल, काफी सेंसुअल तरीके से निभाया। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड मिला।

उसके बाद विद्या बालन ने जिस शानदार तरीके से अपने कैरियर को आगे बढाया, यह किसी से छिपा नहीं है। ’द डर्टी पिक्चर’ (2011) के लिए 01 नेशनल अवार्ड सहित विद्या बालन अब तक 05 फिल्मफेयर पुरस्कार हासिल कर चुकी है।  

हर एक फिल्म में अलग अलग तरह के रोल प्ले करते हुए, विद्या बालन ने बॉलीवुड की स्टीरियोटाइप एक्ट्रेस वाली सोच को चुनौती देते हुए अपनी दमदार एक्टिंग को माध्यम बनाते हुए, हर फिल्म के कैरेक्टर में घुसकर लोगों को चैंकाया है।

बढे हुए वजन को लेकर विद्या बालन हमेशा सुर्खियों में रहीं लेकिन उन्होंने स्लिम ट्रिम फिगर वाली एक्ट्रेसों के इस दौर में, इसकी कभी परवाह नहीं की और जिस तरह के भी किरदार उन्हें मिलते रहे, वह पूरे आत्म विश्वास और शिद्दत के साथ उन्हें सिल्वर स्क्रीन पर साकार करती रहीं।

ऐसा नहीं कि विद्या बालन को कभी नाकामी का सामना न करना पड़ा हो लेकिन फ्लॉप फिल्मों में भी उन्‍होंने हमेशा ऐसा काम किया कि, कभी किसी ने उन पर उंगली उठाने की जुर्रत नहीं की।

विद्या बालन ने कभी किसी किरदार को करने से पहले, फिल्‍म के हिट या फ्लॉप की परवाह नहीं की। वह तो बस यह जानने की कोशिश करती रहीं कि जो किरदार वह निभाने जा रही हैं, वह ऑडियंस पर कितना असर करेगा। शायद यही वजह है कि एक वक्‍त ऐसा आया कि अच्‍छी एक्टिंग का मतलब ही विद्या बालन हो गया।