‘कामाख्या एक्सेस कॉरिडोर’ का काम आईआईटी-गुवाहाटी की मंजूरी के बाद ही शुरू होगा: मुख्यमंत्री हिमंत

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गुवाहाटी, 28 जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि प्रस्तावित ‘कामाख्या एक्सेस कॉरीडोर’ का काम गुवाहाटी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-गुवाहाटी) से मंजूरी मिलने के बाद ही शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि गलियारा परियोजना (कॉरिडोर प्रोजेक्ट) का काम लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को सौंपा गया है। शर्मा ने यहां नीलाचल पहाड़ी पर स्थित कामाख्या मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि कंपनी ने परियोजना के प्रारूप और योजनाओं का ब्योरा आईआईटी-गुवाहाटी को मंजूरी के लिए सौंप दिया है।

आईआईटी-गुवाहाटी परियोजना को लेकर उठाई गई जल विज्ञान और भूविज्ञान संबंधी चिंताओं की भी जांच करेगा और मंजूरी मिलने के बाद ही काम शुरू होगा।

शर्मा ने कहा कि इस संबंध में आईआईटी-गुवाहाटी को कोई समय सीमा नहीं दी गई है और इसमें तीन से चार महीने या उससे भी अधिक समय लग सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्माण में कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि लोक निर्माण विभाग केवल भक्तों को सुविधाएं प्रदान करते हुए सड़क का सुधार और चौड़ीकरण करेगा।

मंदिर के कुछ पुजारियों द्वारा दायर एक रिट याचिका गुवाहाटी उच्च न्यायालय में लंबित है जिसमें इस चिंता को उजागर किया गया है कि प्रस्तावित विकास कार्य झरनों को प्रभावित करेंगे जिसमें ‘गर्भगृह’ का एक झरना भी शामिल है जो जल का एक बारहमासी स्रोत है और जिसे श्रद्धालु पवित्र मानते हैं।

अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 27 जुलाई तय की है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस साल फरवरी में पूर्वोत्तर में प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) के तहत 498 करोड़ रुपये की लागत वाले ‘कामाख्या एक्सेस कॉरिडोर’ की नींव रखी थी।

अंबुबाची मेले के दौरान मंदिर के कपाट खुलने के दो दिन बाद मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी रिनिकी भुइयां शर्मा के साथ प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना की।

शर्मा ने कहा, ‘‘हर साल हम मंदिर के कपाट खुलने वाले दिन प्रार्थना करते हैं लेकिन इस साल अभूतपूर्व भीड़ के कारण मुझे इसे दो दिन के लिए टालना पड़ा। मैंने राज्य के सभी लोगों के कल्याण के लिए देवी से प्रार्थना की।’’

मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 22 जून को बंद किये गये थे जिन्हें 26 जून को अंबुबाची मेले के अवसर पर दोबारा खोला गया जो इस मान्यता का सूचक है कि इस अवधि का संबंध देवी कामाख्या के वार्षिक मासिक धर्म से है।

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