शेयर बाजार का भविष्य नई सरकार की आर्थिक नीतियों से तय होगाः विशेषज्ञ

नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) आम चुनाव के नतीजों से सरकार के गठन को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के बीच बाजार जानकारों ने मंगलवार को कहा कि शेयर बाजार का भविष्य नई सरकार की आर्थिक नीतियों पर निर्भर करता है जिसमें जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और वैश्विक परिस्थितियां जैसे कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) चुनावी नतीजों के रुझानों में बहुमत से आगे दिख रहा है। लेकिन गठबंधन के सहयोगी दलों पर निर्भरता बढ़ने का असर सरकार की निर्णायक नीतियों पर पड़ने की संभावना को लेकर बाजार में चिंता नजर आने लगी है।

शेयर बाजार में भारी गिरावट ने इस आशंका पर मुहर भी लगाने का काम किया। बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ही सूचकांक कारोबार के दौरान आठ प्रतिशत तक टूटने के बाद थोड़ा संभले लेकिन अंत में लगभग छह प्रतिशत के भारी नुकसान के साथ बंद हुए।

सेंसेक्स 4,389.73 अंक गिरकर 72,079.05 पर और निफ्टी 1,379.40 अंक गिरकर 21,884.50 पर बंद हुआ।

हालांकि शनिवार को अंतिम चरण का मतदान होने के बाद विभिन्न समाचार चैनलों पर आए एग्जिट पोल में भाजपा की अगुवाई वाले राजग को भारी बहुमत मिलने की संभावना जताई गई थी। इस भविष्यवाणी से उत्साहित होकर शेयर बाजार ने सोमवार को करीब तीन प्रतिशत की उछाल दर्ज की थी।

वास्तव में, विशेषज्ञों ने निवेशकों को वर्तमान में उच्च मूल्यांकन के कारण अस्थिरता के लिए तैयार रहने के लिए आगाह किया और विविध दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव दिया।

स्टॉक्सबॉक्स के शोध प्रमुख मनीष चौधरी ने कहा कि राजग सरकार के पिछले दो कार्यकालों की खासियत रहा सुधारवादी दृष्टिकोण इसके तीसरे कार्यकाल में पीछे रह सकता है। इसकी वजह यह है कि भाजपा अपने दम पर बहुमत पाने की स्थिति में नहीं है और उसे सरकार चलाने के लिए अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा।

अबान्स होल्डिंग्स में वरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विश्लेषण) यशोवर्धन खेमका ने कहा, “गठबंधन सरकार होने से महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने और मंत्रिमंडल में कुछ अहम पदों के लिए सहयोगियों पर निर्भरता बढ़ेगी, जिससे नीतिगत असमंजस और सरकार के कामकाज में अनिश्चितता पैदा होगी।”

खेमका ने कहा कि बाजार इस परिदृश्य से जुड़े जोखिम और सरकार द्वारा समाजवादी नीतियों की तरफ संभावित झुकाव के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं, जिससे बाजार में बिकवाली हो सकती है।

हेडोनोवा के मुख्य निवेश अधिकारी सुमन बनर्जी ने कहा, “बाजार की भविष्य की राह नई सरकार की आर्थिक नीतियों पर निर्भर करती है जिसमें जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और वैश्विक स्थितियों जैसे कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

मई, 2014 में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में सरकार बनने के बाद से सुधारों के वादों, आर्थिक स्थितियों में सुधार और राजनीतिक स्थिरता के मेल ने भारतीय शेयर बाजारों में लगातार तेजी को समर्थन दिया। इस उछाल से निवेशकों की संपत्ति में 300 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हुई।

विशेषज्ञों ने कहा कि निवेशकों को निश्चितता का माहौल और नीतियों में निरंतरता पसंद आती है और भारत एक दीर्घकालिक संरचनात्मक वृद्धि का परिदृश्य पेश करता है।

मिराए एसेट कैपिटल मार्केट्स में निदेशक (संस्थागत व्यवसाय) मनीष जैन ने कहा, “बहुत सारे तत्व मौजूद हैं। किसी भी चीज से ऊपर अर्थव्यवस्था को मजबूत होना चाहिए। हम पहले से ही जीडीपी, बाजार पूंजीकरण, जनसांख्यिकीय लाभांश जैसे कारकों में शीर्ष पर हैं।”