शादी में लड़कियों की मांगों के बोझ तले मां-बाप

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आज लड़के-लड़की में बराबरी का ज़माना है। लड़कियों को भी शिक्षा के पूरे अवसर मिलने से वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर बढिय़ा नौकरियों पर लगी मिलेंगी। इंटैलिजेंस लेवल निस्संदेह बढ़ा है, लेकिन इमोशनल लैबल के बारे में जानकर निराशा ही होगी।
उनकी महत्वाकांक्षाएं, फिल्मी स्टाइल में जिंदगी गुजारने के अरमान, ग्लैमर की चकाचौंध से चुंधियाई आंखें कई बार माता-पिता के लिये कितनी परेशानियां खड़ी कर देती हैं, वह भुक्त भोगी ही जानते हैं।
अब पहले सी समझदार लड़कियां कम ही देखने को मिलेंगी। निस्संदेह उच्चशिक्षा ने उन्हें संवेदनहीन बनाया है। अब धैर्य, संतोष गुण नहीं कमजोरी कहलाते हैं।
अब नयना की बात लें उसके पापा को बिजनेस में घाटा होने से उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई थी लेकिन नयना को इससे कोई मतलब न था। उसके ख्वाब ऊंचे थे। उसे शादी के लिये ऊंचा घराना जहां ऐशोआराम का जीवन मिल सके, वही चाहिए था।
सभी मां-बाप अपनी बेटी के लिए ऐसा रिश्ता देखना चाहते हैं जहां उनकी लड़की सुखी संतुष्ट रहे, क्योंकि, उसकी खुशी में ही वे अपनी खुशी देखते हैं, लेकिन हमेशा पैसेवाला वर ढूंढऩा उनके लिये संभव नहीं होता, न ही दहेज की मोटी रकम जुटा पाना। इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती कि पैसेवाले लोग लड़की को सुखी ही रखेंगे। वह सोने का पिंजरा भी हो सकता है, जहां लड़की की आजादी ही छिन जाए।
मां-बाप द्वारा ढूंढ़ा अच्छे से अच्छा रिश्ता लड़कियां कई बार अपनी बचकानी, बेतुकी, बेजा बातों से ठुकरा देती हैं और बाद में खून के आंसू रोने पर मजबूर हो जाती हैं।
आशी के लिए मम्मी-पापा ने इंजीनियर संस्कारवान लड़का ढूंढा। सगाई भी हो गई और फिर जाने क्या उसके दिमाग में आया कि उसने मम्मी-पापा से सगाई तोडऩे की जिद की और एक विजातीय लड़के से शादी करनी चाही। मम्मी-पापा समझाते रहे मगर एक दिन वह उन्हें बगैर बताये उस लड़के के साथ गायब हो गई। बाद में पता चला कि लड़का स्मलगर था, उसने आशी को भी अपने साथ अपने काले धंधे में लगा लिया था।
आज की लड़कियां अगर पढ़ी लिखी मैच्योअर हैं तो उन्हें उसी तरह बिहेव भी करना चाहिए। अपने भावी जीवन साथी को लेकर सपने देखने का उन्हें पूरा अधिकार है, लेकिन अपने पैर जमीन पर रखकर। उनकी जायज मांगे माता-पिता पूरी करने की कोशिश जरूर करेंगे आखिर वह उनकी दुलारी बेटी है, जिसे पाल-पोसकर बड़ा करने में उन्होंने क्या नहीं किया होगा।
अब कोई लड़की बिलो एवरेज हो और कहे मुझे तो किसी हॉलीवुड के हीरो जैसा हैंडसम वर ही चाहिए या खुद कम पढ़ी-लिखी हो, लेकिन लड़का विद्वान ही चाहिए तो वह गलत होगा। मैच बराबरी का ही सही रहता है। लड़कियों की अनुचित फरमाइशें माता-पिता को गहरे तनाव और परेशानी में डाल देती हैं। लड़की की शादी को लेकर एक तो वैसे ही हमारे यहां माता-पिता बेहद चिंतित रहते हैं। लड़कियों को चाहिए माता-पिता की पसंद पर भरोसा करें। वे अनुभवी  हैं, आपके लिये सोच-समझकर ही वर ढूंढ़ेंगे। हां, अगर आपको लड़के के बारे में कोई एतराज वाली बातें मालूम होती हैं तो बेझिझक फौरन आप अपने पैरेंट्स को बतायें। यहां आपको जरा भी झिझकने व देर करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह आपकी पूरी जिन्दगी का मामला है।
इसी तरह एक बार रिश्ता तय हो जाने पर दहेज की चीजों को लेकर माता-पिता को परेशान न करें। अपनी सामथ्र्य भर वे आपको सब कुछ देते ही हैं, उन पर किसी तरह का आर्थिक बोझ न पड़े, यह देखना आपकी जिम्मेदारी है।
याद रखें माता-पिता ईश्वर-तुल्य होते हैं। उन पर श्रद्धा रखें, उनके अपने प्रति कत्र्तव्यों को पालन करें। अगर उनकी हैसियत है और वे आपसे जोर देकर आपकी पसंद की चीजें पूछते हैं तो बात अलग है। अपनी, अपने पति की कमाई से बाद में जो चाहें लें। मां-बाप का शोषण करने जैसा पाप भूलकर न करें।