नयी दिल्ली, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) स्वत: भुगतान का दायरा बढ़ाना चाहता है। केंद्रीय बैंक ने इसमें फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) आदि को भी लाने का प्रस्ताव किया है। इसके तहत ये सुविधाएं प्राप्त करने के लिए राशि कम होने पर स्वयं उसके खाते से इन सेवाओं लिए भुगतान (रिचार्ज) कर दिया जाएगा। शेष राशि की सीमा ग्राहकों द्वारा स्वयं तय की जाएगी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय की जानकारी देते हुए शुक्रवार को कहा, ‘‘ ‘ई-मैंडेट’ यानी भुगतान के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से मंजूरी के तहत अभी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि जैसे निश्चित अवधि वाली सुविधाओं के लिए निश्चित समय पर ग्राहक के खाते से भुगतान स्वयं हो जाता है। अब इसमें ऐसी सुविधाओं व मंचों को जोड़ा जा रहा है जिनके लिए भुगतान का कोई समय तय नहीं है जबकि भुगतान जमा राशि कम होने पर किया जाता है।’’
ई-मैंडेट ग्राहकों के लिए आरबीआई द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल भुगतान सेवा है। इसकी शुरुआत 10 जनवरी, 2020 को की गई थी।
आरबीआई की ओर से जारी बयान के अनुसार, मौजूदा ई-मैंडेट ढांचे के तहत ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम से कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देने की आवश्यकता होती है। ई-मैंडेट ढांचे के तहत फास्टैग, एनसीएमसी आदि में स्वचालित भुगतान के लिए ग्राहक के खाते से किए गए भुगतान के लिए इस आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है।
साथ ही आरबीआई ने यूपीआई लाइट को ‘ई-मैंडेट’ ढांचे के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है।
बयान में कहा गया, यूपीआई लाइट सुविधा वर्तमान में ग्राहक को अपने यूपीआई लाइट वॉलेट में 2,000 रुपये तक रखने और वॉलेट से 500 रुपये तक का भुगतान करने की अनुमति देती है।
दास ने कहा, ‘‘ ग्राहकों को यूपीआई लाइट का निर्बाध उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए, और विभिन्न हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर ग्राहक द्वारा यूपीआई लाइट वॉलेट में पैसे डालने के लिए ‘ऑटो-रिप्लेनिशमेंट’ (स्वतः पुनःपूर्ति) सुविधा शुरू करके यूपीआई लाइट को ‘ई-मैंडेट’ ढांचे के दायरे में लाने का प्रस्ताव है, यदि शेष राशि उसके द्वारा निर्धारित सीमा से कम हो जाती है।’’
आरबीआई के अनुसार, चूंकि धनराशि ग्राहक के पास ही रहती है (धनराशि उसके खाते से वॉलेट में चली जाती है) इसलिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण या खाते से पैसे निकालने से पहले जानकारी देने की आवश्यकता को समाप्त करने का प्रस्ताव है।
उपरोक्त प्रस्ताव के संबंध में संबंधित दिशा-निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।