शिमला, 23 जून (भाषा) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का यह बयान अदालत की अवमानना है जिसमें उन्होंने (ठाकुर ने) कहा है कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त छह मुख्य संसदीय सचिवों को उनके पदों से हटाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है।
शिमला में कांग्रेस कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सुक्खू ने कहा कि ठाकुर अदालत के फैसले की भविष्यवाणी कैसे कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत को ऐसे बयानों पर गौर करना चाहिए।
ठाकुर और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के प्रमुख राजीव बिंदल अपने भाषणों और बयानों में लगातार कहते रहते हैं कि सुक्खू द्वारा ‘‘अवैध रूप से’’ नियुक्त किए गए छह मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) आखिर में हटा दिए जाएंगे और सरकार अपने ही बोझ से गिर जाएगी।
भाजपा के 12 विधायकों ने छह सीपीएस की नियुक्तियों को यह दावा करते हुए अदालत में चुनौती दी है कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) का उल्लंघन करता है, जो मंत्रियों की संख्या को सदन की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत तक सीमित करता है। हिमाचल प्रदेश के मामले में यह संख्या 12 है।
सुक्खू ने कहा कि बजट सत्र के दौरान भाजपा के नौ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी का अनादर किया और सदन में कागज फाड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि अध्यक्ष ने विधायकों को नोटिस जारी किया है और उन्होंने अपना जवाब दाखिल कर दिया है।
इस बीच, एक बयान में बिंदल ने दावा किया कि सुक्खू इस बात से अवगत हैं कि छह सीपीएस को उनके पदों से हटा दिया जाएगा और इसलिए वह भाजपा के नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने की साजिश रच रहे हैं, जो अलोकतांत्रिक है।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा और सत्तारूढ़ कांग्रेस दोनों दावा कर रहे हैं कि वे 10 जुलाई को तीन विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करेंगे। ये सीट तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के बाद खाली हुई थीं। इन विधायकों ने फरवरी में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था और बाद में उसी पार्टी में शामिल हो गए थे।