छत्रपति संभाजीनगर, 18 जून (भाषा) महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने कहा है कि सरकार किसी के लिए भी आरक्षण के खिलाफ नहीं है और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कोटे की रक्षा के लिए आंदोलन कर रहे दो कार्यकर्ताओं की मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा।
ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा आरक्षण की मांग के बीच ओबीसी समाज के दो कार्यकर्ता महाराष्ट्र के जालना जिले में अनशन पर बैठे हैं। इनकी मांग है कि सरकार यह आश्वासन दे कि किसी भी सूरत में उनका (ओबीसी) आरक्षण प्रभावित नहीं होगा।
राकांपा विधायक धनंजय मुंडे ने अपनी चचेरी बहन एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता पंकजा मुंडे के साथ सोमवार को जालना जिले के वाडीगोद्री गांव में ओबीसी कार्यकर्ताओं लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे से मुलाकात की। दोनों गत 13 जून से अनशन पर बैठे हैं।
ओबीसी कार्यकर्ताओं ने सरकार से लिखित आश्वासन मांगा है कि किसी भी सूरत में उनका कोटा प्रभावित नहीं होना चाहिए।
दोनों कार्यकर्ताओं से मुलाकात के बाद कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘हम किसी को आरक्षण देने का विरोध नहीं करते। राज्य सरकार भी कई बार इस पर सफाई दे चुकी है। लेकिन इसके बाद भी समुदायों के बीच गलतफहमियां पैदा की जा रही हैं, इसलिए सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इस मुद्दे (कोटा) पर क्या होने जा रहा है और इस बारे में सभी समुदायों को बताया जाना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि गलतफहमियों को जल्द से जल्द दूर किया जाना चाहिए।
धनंजय मुंडे ने कहा, ‘‘हमारे दो आंदोलनकारियों (हाके और वाघमारे) की मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा। सरकार को इन दोनों आंदोलनकारियों की मांगों का सम्मान करना चाहिए। इस राज्य और देश में पहले के आंदोलनों को सरकार से जो सम्मान मिला है, वही सम्मान इस आंदोलन और मांगों को भी दिया जाना चाहिए।’’
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानमंडल ने एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक को आम-सहमति से पारित कर दिया था।
जरांगे उस मसौदा अधिसूचना पर अमल करने की मांग कर रहे हैं जो कुनबी समुदाय को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘रक्त संबंधी’ के रूप में मान्यता देती है। वह कुनबी को मराठा के रूप में चिह्नित करने के लिए एक कानून की भी मांग कर रहे हैं।
कुनबी, एक कृषक समुदाय है और ओबीसी वर्ग में आता है। लेकिन जरांगे मांग करते रहे हैं कि मराठा समुदाय के सभी सदस्यों को कुनबी प्रमाणपत्र जारी किया जाए ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके।
हाके और वाघमारे ने कहा है कि वे मराठाओं के आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इससे ओबीसी कोटा में छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
ओबीसी कार्यकर्ता सरकार की उस मसौदा अधिसूचना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सेज सोयरे’ (रक्त संबंधी) के रूप में मान्यता दी गई है।