मानवीय स्वभाव के असंख्य विकारों में एक विकार जो प्राय: अधिकतर लोगों में पाया जाता है, वह विकार है एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति में खामियां तलाश करना, बुराई (निंदा) करना, दूसरों की समझ, दूसरों की छवि को धूमिल करना वगैरह-वगैरह।
हालांकि यह वास्तविकता सभी भूल जाते हैं कि जब हम एक अंगुली दूसरे की तरफ उठाते हैं तो शेष अंगुलियां स्वत: ही हमारी ओर उठ जाती हैं, बहरहाल यह वास्तविकता है कि दूसरों में खामियां तलाश करने वाला किसी को भी अच्छा नहीं लगता।
ऐसी प्रवृत्ति के लोगों से सम्बन्ध रखना तो दूर, बात करना और मिलना भी कोई पसंद नहीं करता और यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इस प्रवृत्ति के लोग बहुत से खूबसूरत रिश्तों के टूटने की वजह भी बनते हैं।
बहरहाल इसमें कोई दो राय नहीं कि नकारात्मक भावनाएं हमारे आत्मविश्वास को कमजोर करती हैं और जब आप में खामियां कोई आपका अपना तलाश करता है, गिनाता है तो तकलीफ का अहसास ज्यादा होता है, लेकिन दुख करने से पहले यह बात आपको अच्छे से समझनी होगी कि इंसान-इंसान में ही नहीं, बल्कि अपने रब की बनाई सूरतों, सीरतों में भी ऐब निकाल देता है तो हम क्या चीज हैं। वैसे यह कड़वा सच भी अपनी जगह है कि स्वयं को असुरक्षित महसूस करने वाले नकारात्मक प्रवृत्ति के लोग ही दूसरों में खामियां तलाश करते हैं। बहरहाल अगर यह बुरी प्रवृत्ति आपके स्वभाव का हिस्सा है तो समय रहते अपनी इस प्रवृत्ति को बदल लीजिए। दूसरों की कमियों पर नजर रखने के विपरीत दूसरों की खूबियों पर नजर रखें।
दूसरों की प्रशंसा सामने वाले में आत्मविश्वास का संचार ही नहीं करेगी बल्कि आपको भी अन्दर से अच्छा महसूस करायेगी, लेकिन बहुत प्रयास के उपरांत भी अगर आप अपनी प्रवृत्ति को बदल नहीं पा रहे हैं तो आप इन बातों का ध्यान अवश्य रखें-
क्यों करें-
सर्वप्रथम दूसरों की कमियों पर नजर रखने के विपरीत अपनी कमियों को सुधारने का प्रयास करें।
अपना नजरिया सदैव सकारात्मक रखें, क्योंकि सोच ही हमारे नजरिये को अच्छा और बुरा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अपने व्यक्तित्व की खामियों को खुले मन से स्वीकारें और उन कमियों को पूरी ईमानदारी के साथ दूर करने का प्रयास करें।
ज्ञात रहे दूसरों में खामियां तलाश करने वाले प्राय: स्वयं को असुरक्षित महसूस करने वाले लोग ही निकालते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से नफरत करने के विपरीत सहानुभूति पूर्ण व्यवहार रखें।
आपको लोगों द्वारा अधिक निशाना बनाया जाना आपके सही होने या आपमें कुछ विशेष होने की संभावना को भी आधार प्रदान करता है, इसलिए चिंता करने के विपरीत प्रसन्न हो जाएं।
अगर आप में भी खामियां हैं तो उन्हें खुले मन से स्वीकारें और पूरे मन से उन खामियों को खूबियों में बदलने का प्रयास करें।
आपकी व्यंग्यपूर्ण बातों से यदि कोई आहत हो भी जाए तो क्षमा मांगने के लिए भी सदैव तत्पर रहें। अपनी गलती के लिए क्षमा मांगने वाला कभी छोटा नहीं होता।
मैं अन्त में बस इतना ही कहूंगी कि कुछ भी हो यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपनी निंदा को, अपनी खामियों को किस दृष्टिकोण से स्वीकारते हैं।
कोई कमी है तो उसे स्वीकारें और उसे सुधारने का प्रयास करें और नहीं है तो व्यर्थ बातों पर कदापि ध्यान न दें। जिन्दगी आपकी है इसलिए अपनी जिन्दगी में वही स्वीकारें जो आप स्वीकारना चाहते हैं। इसके लिए आपके पास अस्वीकार का अधिकार तो रहता ही है।