ईवीएम की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करें या उन्हें हटाएं: राहुल गांधी ने निर्वाचन आयोग से कहा

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नयी दिल्ली,  ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से मशीनों और प्रक्रियाओं में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने या उन्हें हटाने को कहा।

यह मांग ऐसे समय में आई है जब एक दिन पहले कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक “ब्लैक बॉक्स” है और किसी को भी इसकी जांच करने की अनुमति नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं।

गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “जब लोकतांत्रिक संस्थाओं पर कब्जा कर लिया जाता है, तो एकमात्र सुरक्षा उपाय जनता के लिए पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया में ही निहित होता है।”

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, “ईवीएम फिलहाल एक ब्लैक बॉक्स है। चुनाव आयोग को या तो मशीनों और प्रक्रियाओं की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए या उन्हें हटा देना चाहिए।”

एक अन्य कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को अचूक मानने से पहले, भारत निर्वाचन आयोग को यह आंकड़ा जारी करना चाहिए कि चुनावों के दौरान कितनी ईवीएम खराब पायी गईं।”

उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को यह बताना चाहिए कि आम चुनावों के दौरान कितनी मशीनों ने गलत समय, तारीख और गलत मत दर्ज किए तथा कितनी ईवीएम के घटकों – मतगणना इकाई, मतपत्र इकाई को बदला गया तथा छद्म मतदान के दौरान कितनी ईवीएम में खराबी मिली।

गोगोई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “चुनाव लड़ने के बाद मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इन मशीनों ने अशुद्ध नतीजे दिखाए हैं। मुझे उम्मीद है कि निर्वाचन आयोग उपरोक्त आंकड़े जारी करेगा क्योंकि जनता को जानने का अधिकार है।”

गोगोई का यह बयान ईवीएम से छेड़छाड़ के दावों को लेकर ताजा राजनीतिक विवाद के एक दिन बाद आया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने एक मीडिया खबर का हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में शिवसेना उम्मीदवार के एक रिश्तेदार को चार जून को मतगणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से “कनेक्ट” मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए पाया गया था।

निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने हालांकि ‘मिड-डे’ अखबार की खबर को “झूठी खबर” बताकर खारिज कर दिया और कहा कि प्रकाशन को मानहानि का नोटिस जारी किया गया है।

 

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