बीते सप्ताह सोयाबीन तेल-तिलहन और पाम, पामोलीन में गिरावट

नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में कम आवक के कारण सरसों तेल-तिलहन और नगण्य स्टॉक के बीच बिनौला तेल के दाम मजबूत रहे। पिछले सत्र में मूंगफली की पैदावार घटने के बीच माल की कमी की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम भी मजबूत हो गये। दूसरी ओर विदेशों में मजबूती के बावजूद स्थानीय मांग कमजोर रहने के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन दिल्ली एवं कांडला तथा सोयाबीन तेल-तिलहनों के दाम में गिरावट देखने को मिली।

बाजार सूत्रों ने कहा कि जून, 2024 में पांच लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात किया गया जबकि घरेलू औसत खपत प्रति माह 2.50 लाख टन ही है। इस जरूरत से अधिक सस्ते आयात की वजह से बाकी तेल- तिलहनों पर दबाव बढ़ गया। जिस देशी खाद्य तेल की लागत औसतन लगभग 150 रुपये किलो बैठती हो और आयातित सॉफ्ट आयल देशी तेल से लगभग आधे दाम पर बिक रहा हो तो फिर देशी तेल कहां से खपेंगे? एक तो आयातित खाद्य तेलों की भी मांग कमजोर है दूसरा आयात जरूरत से कहीं ज्यादा हो जाये, तो बाकी देशी तेल कहां से खपेंगे? क्या यह स्थिति तेल-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के अनुकूल है? मांग कमजोर रहने की वजह से वायदा और हाजिर कारोबार में यही तेल आयात लागत से नीचे दाम पर बिक रहा है।

सूत्रों ने बताया कि सरसों की आवक पिछले सप्ताह के लगभग पांच लाख बोरी से घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में लगभग साढ़े तीन लाख बोरी रह गई। कच्ची घानी वाली बड़ी कंपनियों के बीच अच्छी गुणवत्ता वाले सरसों की मांग भी है। उनकी पाइपलाइन भी खाली है। बरसात और जाड़े के मौसम में सरसों की मांग भी अधिक होती है जिस वजह से सरसों तेल-तिलहन में सुधार है।

उन्होंने कहा कि सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) और सोयाबीन तेलों की मांग कमजोर होने से सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में गिरावट है। पिछले दो तीन दिन में ही कांडला पोर्ट पर सोयाबीन तेल का दाम 1,020-1,025 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,040-1,045 डॉलर प्रति टन हो गया है। लेकिन स्थानीय बाजार की कमजोर मांग के कारण स्थानीय बाजार पर इस बढ़ोतरी का कोई असर नहीं दिखा।

सूत्रों ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून, 2024 में मूंगफली की पैदावार पिछले साल के मुकाबले काफी घटी है। संभवत: किसानों को जब अपनी उपज के ठीक दाम नहीं मिले, तो उन्होंने पैदावार कम कर दी। लेकिन देश को तेल-तिलहन पैदावार के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी तेल-तिलहनों की पैदावार बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा।

सूत्रों ने कहा कि पाम, पामोलीन के मामले में विदेशों में घट-बढ़ की स्थिति है और स्थानीय मांग कमजोर है। थोड़ी बहुत मात्रा में पामोलीन की मांग है। दूसरा सूरजमुखी के जरूरत से अधिक आयात और लागत से कम दाम पर बिकने की वजह से पाम, पामोलीन में भी गिरावट रही।

बिनौला का स्टॉक नहीं के बराबर है और इस कमी की वजह से बिनौला तेल में सुधार है।

सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पहले के 6,760 रुपये क्विंटल से बढ़ाकर इस बार 7,220 रुपये क्विंटल किया गया है। लेकिन जब 6,760 रुपये की एमएसपी वाले सूरजमुखी तेल का 5,000 रुपये क्विंटल पर कोई लिवाल नहीं मिल रहा तो 7,220 रुपये क्विंटल वाले सूरजमुखी का कौन लिवाल होगा? ऐसे में एमएसपी बढ़ाने का क्या औचित्य रह जायेगा? एमएसपी बढ़ाने के साथ-साथ सरकार को देशी तेल- तिलहनों का बाजार भी विकसित करना होगा। स्थिति ऐसी बनी रही तो आगे जाकर तिलहन पैदावार घटने के साथ-साथ खल और डीओसी की दिक्कत बेकाबू हो सकती है।

बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 105 रुपये बढ़कर 6,030-6,090 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 200 रुपये बढ़कर 11,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 35-35 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,890-1,990 रुपये और 1,890-2,015 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

दूसरी ओर, समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 70-70 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,580-4,600 रुपये प्रति क्विंटल और 4,390-4,510 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 100 रुपये, 50 रुपये और 100 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 10,250 रुपये, 10,150 रुपये तथा 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में कम पैदावार की खबरों के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतें मजबूत रहीं। मूंगफली तिलहन 150 रुपये की तेजी के साथ 6,250-6,525 रुपये क्विंटल, मूंगफली तेल गुजरात 14,880 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।

वहीं दूसरी ओर, कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 50 रुपये की गिरावट दर्शाता 8,525 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 9,725 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 70 रुपये की गिरावट के साथ 8,780 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल का नगण्य स्टॉक रहने के बीच मांग बढ़ने तथा कपास खेती का रकबा घटने की सूचना के बीच बिनौला तेल का भाव 75 रुपये मजबूत होकर 10,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।