चीन ने दक्षिण चीन सागर में जहाजों के बीच टक्कर के लिए फिलीपीन को जिम्मेदार ठहराया

Ship-Collide

ताइपे, 17 जून (एपी) दक्षिण चीन सागर में विवादित ‘स्प्रैटली’ द्वीप समूह के निकट सोमवार को एक चीनी जहाज और फिलीपीन के एक आपूर्ति जहाज के बीच टक्कर हो गई। क्षेत्रीय विवाद को लेकर बढ़ती तनातनी ने खतरे की घंटी बजा दी है।

चीन के तटरक्षक बल ने बताया कि फिलीपीन का एक आपूर्ति जहाज ‘स्प्रैटली’ द्वीप समूह में जलमग्न चट्टान ‘सेकंड थॉमस शोल’ के निकट जलक्षेत्र में घुस आया।

‘स्प्रैटली’ द्वीप समूह पर, कई देश अपने-अपने क्षेत्र का हिस्सा होने का दावा करते हैं।

फिलीपीन की सेना ने चीन के तटरक्षक के दावे को भ्रामक और गुमराह करने वाला करार दिया है।

चीनी तटरक्षक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘वीचैट’ पर एक बयान में कहा कि फिलीपीन का एक आपूर्ति जहाज चीन द्वारा बार-बार दी गयी चेतावनियों को नजरअंदाज करते हुए गैर-पेशेवर तरीके से एक चीनी जहाज के पास खतरनाक तरीके से पहुंच गया, जिसके परिणामस्वरूप टक्कर हो गयी।

बयान के मुताबिक, ”इस दुर्घटना के लिए पूरी तरह से फिलीपीन जिम्मेदार है।”

फिलीपीन सेना ने मनीला में कहा कि सेना मनुष्यों की वैध आवाजाही और आयंगिन शोल पर पुनःआपूर्ति मिशन को लेकर किसी भी तरह की परिचालन जानकारी पर चर्चा नहीं करेगी।

सेना ने कहा कि आयंगिन शोल फिलीपीन के विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर आता है।

सेना ने शोल क्षेत्र के लिए फिलीपीन नाम का प्रयोग किया, जहां नौसेना कर्मियों ने, लंबे समय से मनीला की क्षेत्रीय चौकी के रूप में कार्य कर रहे युद्धपोत तक भोजन, दवाइयां और अन्य सामग्री पहुंचाई है।

सेना के प्रवक्ता कर्नल जेरेक्सेस त्रिनिदाद ने बताया, ”हम चीन के तटरक्षक बल के भ्रामक और गुमराह करने वाले दावों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने बताया, ”जरूरी मुद्दा फिलीपीन के विशेष आर्थिक क्षेत्र में चीनी जहाजों की अवैध उपस्थिति और गतिविधियों का हैं, जो हमारी संप्रभुता और अधिकारों का उल्लंघन करता है।”

त्रिनिदाद ने बताया, ”चीन के तटरक्षक बलों की निरंतर आक्रामक कार्रवाइयां क्षेत्र में तनाव बढ़ा रही हैं।”

वहीं, फिलीपीन का कहना है कि ‘सेकंड थॉमस शोल’ उसके समुद्र तट से 200 नॉटिकल मील (लगभग 370 किलोमीटर) से भी कम दूरी पर स्थित है और उसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विशेष आर्थिक क्षेत्र में पड़ता है।

फिलीपीन अक्सर वर्ष 2016 की एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता व्यवस्था का हवाला देता है, जिसमें ऐतिहासिक आधार पर दक्षिण चीन सागर में चीन के व्यापक दावों को अमान्य करार दिया गया है।