असाध्य नहीं है कैंसर….

0

कैंसर एक घातक बीमारी अवश्य है किन्तु असाध्य नहीं है। कैंसर होते ही यह सोच लेना कि अब तो मृत्यु निश्चित है, निहायत गलत है। आज विज्ञान ने इस बीमारी पर पूरी तरह तो नहीं परन्तु काफी हद तक काबू अवश्य पा लिया है। सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से कैंसर को पराजित किया जा सकता है। इसमें हार्मोंस और आइसोटोप्स भी कुछ हद तक मदद करते हैं।
अन्य देशों की अपेक्षा भारतीयों में पाया जाने वाला कैंसर बहुत जल्दी नष्ट किया जाने वाला होता है लेकिन कैंसर का इलाज कराने यहां के लोग तभी पहुंचते हैं जब वह असाध्य हो जाता है। असाध्य हुए कैंसर का भी उपचार चिकित्सक पूरे मनोयोग एवं तत्परता से ही करते हैं परन्तु असाध्यता की अवस्था में कुछ प्रतिशत रोगी ही बच पाते हैं। इसी कारण प्रायः यह धारणा बनती जा रही है कि कैंसर का परिणाम मृत्यु ही होता है।
अपने शरीर के परिवर्तनों पर ध्यान देकर कैंसर से बचा जा सकता है। अगर निम्नांकित शारीरिक परिवर्तनों को ध्यान से देखा जाए तो परिवर्तन की अवस्था में शीघ्र ही समुचित उपचार उपलब्ध हो सकता है और कैंसर की बीमारी पूर्णतः दूर हो सकती है-
इन परिवर्तनों पर ध्यान दें
सामान्य शौच की आदतों में कोई परिवर्तन।
खांसी या लगातार गले का रूखा रहना।
निगलने में कठिनाई या लगातार अपचन होना।
मस्से या तिल के रूप रंग में कोई परिवर्तन।
असामान्य रक्तòाव या खून का बहना।
स्तन पर किसी गांठ का होना या चुचूकों में कोई विलक्षण परिवर्तन।
किसी घाव का अधिक समय होने पर भी न भरना।
योनिगत òावों का निरन्तर बहते रहना या सूजन का रहना।
रहन-सहन का ढंग भी कभी-कभी कैंसर का कारण बन सकता है। ब्रिटेन तथा अमेरिका में अंतड़ियों, फेफड़ों तथा त्वचा के कैंसर और भारत में सिर तथा गर्दन के आस-पास यह रोग अधिक पाया जाता है। हाल ही में प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार जापान में योनि एवं अण्डकोश के कैंसरों ने आतंक मचा रखा है।
जो पुरूष अधिक पान, गुटखा, धूम्रपान या तम्बाकू का सेवन करते हैं, उनमें फेफड़ों, मुंह, मसूड़ों और गले का कैंसर हो जाता है। बीड़ी और सिगरेट पीना अधिक खतरनाक होता है। अन्य जाने-पहचाने कारणों में शिला, तन्तु, संखिया, तारकोल और अल्ट्रा वायलेट किरणें भी कैंसर को जन्म देती हैं। विटामिन-बी की कमी से कुछ तंतुओं में जैसे-मुंह और होंठों के तंतुओं में परिवर्तन आ सकता है जो कैंसरयुक्त भी बन सकता है। बूढ़े लोग प्रास्टेट के कैंसर के अधिक शिकार होते हैं।
आंखों और खून के कैंसर प्रायः छोटे बच्चों में पाए जाते हैं। किसी भी उम्र में कैंसर के विकास की गति कैंसर के प्रकार पर निर्भर करती है, फिर भी कैंसर की विकास की गति छोटी आयु में ही अधिक होती है।
महिलाओं में मुख्यतः प्रजनन अंगों और स्तन में ही कैंसर अधिक होता है। अविवाहित औरतों में स्तन कैंसर अधिक पाया जाता है जबकि शादी-शुदा औरतों में गर्भाशय के कैंसर की दर अधिक है। बच्चे के जन्म के समय के घाव या एक से अधिक आदमियों से लैंगिक संबंध, गर्भाशय तथा योनि के कैंसर के खतरे को बढ़ा देते हैं। स्तन की प्रत्येक गांठ कैंसर युक्त नहीं होती लेकिन कोई भी गिल्टी नजर आते ही शर्म-संकोच त्यागकर तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए।
स्तन कैंसर से बचने के लिए प्रत्येक महिला को साल में दो बार अपने स्तनों की जांच डाक्टर से करवा लेनी चाहिए। स्वयं भी स्तनों की जांच इस प्रकार की जा सकती है। मासिक आने के बाद शीशे के सामने खड़े होकर अपने स्तनों को दबाकर देख लेना चाहिए। अगर उनके आकार में कुछ बदलाव हो, त्वचा में कहीं गड्डे या दरार पड़ने जैसी बात दिखाई दे, स्तनों के अग्रभाग में कुछ बदलाव या कुछ बहता नजर आए तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। ऐसे कपड़े नहीं पहनें जो छाती की दीवार से स्तन के तन्तुओं पर जोर से दबाव डालते हों।
गर्भाशय के कैंसर से बचने के लिए बच्चे के पैदा होते ही उससे हुए घावों को अतिशीघ्र ठीक करा लेना चाहिए। सभी अस्वाभाविक योनिòावों की जांच, 35 साल की उम्र तक सालाना जांच और उसके बाद छमाही जांच कराते रहनी चाहिए।
मुंह के कैंसर से बचने के लिए मुंह साफ रखना चाहिए, ऊबड़-खाबड़ बेशक्ल दांतों को भरवा लेना चाहिए, तम्बाकू आदि मादक पदार्थों को नहीं खाना चाहिए। अत्यधिक लिपस्टिक के प्रयोग से होंठ का कैंसर होता है अतः इसका सीमित प्रयोग ही करना चाहिए। त्वचा के कैंसर से बचने के लिए त्वचा पर खुजली वाले परतदार धब्बों का इलाज करवाना चाहिए। अत्यधिक साबुन एवं पाउडर के प्रयोग से भी त्वचा का कैंसर हो जाता है।
पुरूषों में कैंसर छिपा होता है और कभी-कभी पता लगाना अधिक मुश्किल हो जाता है अतः पुरूषों को अपनी शारीरिक जांच करवाते रहना चाहिए। गुदामार्ग, अण्डकोश, मुख, गला, आंख आदि की जांच करवाकर संतुष्ट हो जाना चाहिए।
उपयोगी परामर्श
मोटापा कैंसर में सहायक होता है अतः व्यायाम आदि करके उस पर नियंत्राण करें।
भारी भोजन, अधिक घी, मिठाइयां एवं अचार का प्रयोग कम करें।
धूम्रपान, तम्बाकू, मदिरा सेवन, पान आदि का सेवन न करें।
आधुनिक प्रसाधनों, सुगन्धित साबुनों का प्रयोग कम करें।
अधिक तले, भुने, चटपटे, पदार्थों का सेवन न करें।
शरीर की सफाई का ध्यान रखना अति आवश्यक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *