नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) अब बंगाल की खाड़ी के केजी बेसिन में दीन दयाल गैस क्षेत्र को ‘बचाने’ के लिए भागीदारों की तलाश कर रही है। कंपनी इस क्षेत्र पर करीब 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च कर चुकी है और सात साल में उसे काफी सीमित सफलता मिली है।
निविदा दस्तावेज के अनुसार, ओएनजीसी ने 12 जून को इस क्षेत्र में भागीदार के रूप में जरूरी तकनीकी विशेषज्ञता वाली तथा वित्तीय रूप से मजबूत वैश्विक तेल एवं गैस कंपनियों से रुचि पत्र (ईओआई) मांगे हैं। इसके पीछे मकसद क्षेत्र के लिए व्यावहारिक रणनीति को मजबूत करना है।
जनवरी, 2017 में ओएनजीसी ने देश के पूर्वी तट पर केजी-ओएसएन-2001/3 ब्लॉक में गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। उसके बाद से यहां नगण्य मात्रा मे गैस का उत्पादन हुआ है।
इस ब्लॉक में दीन दयाल वेस्ट (डीडीडब्ल्यू) गैस/कंडेनसेट क्षेत्र शामिल है जिसकी खोज लगभग दो दशक पहले जीएसपीसी ने की थी। गुजरात सरकार की कंपनी ने जब अपना कर्ज कम करने के लिए ओएनजीसी को अपनी हिस्सेदारी बेची थी तो उसने इसे एक बेहद संभावना वाले क्षेत्र के रूप में दिखाया था।
इस क्षेत्र के बारे में शुरू में कहा जाता था कि इसमें 20,000 अरब घन फुट गैस का भंडार है। यह देश में गहरे समुद्र वाले क्षेत्र में सबसे अधिक होता। हालांकि, बाद में भंडार के इस अनुमान को घटाकर पहले की तुलना में मात्र 10 प्रतिशत कर दिया गया।
ओएनजीसी ने निविदा दस्तावेज में कहा है कि क्षेत्र में आज की तारीख तक विकास के लिए कुल सात कुएं खोजे गए हैं।
कंपनी अब इस क्षेत्र के लिए एक वैश्विक भागीदार चाहती है जो डीडीडब्ल्यू के विकास में मदद कर सके।
अधिग्रहण लागत के अलावा ओएनजीसी ने डीडीडब्ल्यू क्षेत्र को उत्पादन में लाने की कोशिश में अघोषित धनराशि खर्च की है।