उपराष्ट्रपति ने कॉरपोरेट व ‘जनता के नेताओं’ से अनुसंधान एवं विकास में सहयोग करने की अपील की

बेलगावी (कर्नाटक), 27 मई (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कॉरपोरेट जगत और “जन सेवकों” से अपील की कि वे अनुसंधान और विकास में सहयोग करने के लिए हरसंभव प्रयास करें, क्योंकि यह देश की अर्थव्यवस्था के विकास और इसकी राजनयिक शक्ति में भी दिखाई देगा।

धनखड़ ने एक ऐसी संस्कृति विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया जिसमें हर भारतीय फिट और तंदरुस्त हो। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूरा देश इस समय 2047 में ‘विकसित भारत’ की एक मैराथन मार्च का हिस्सा है।

यहां आईसीएमआर- राष्ट्रीय पारम्परिक चिकित्सा विज्ञान संस्थान के 18वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “ हम आज अहम समय में जी रहे हैं। भारत में दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा रहता है और यह अब अपनी ताकत से बेखबर नहीं है। अब यह क्षमता विहीन देश नहीं रहा। यह एक उभरता हुआ देश है और इसके अभ्युदय को रोका नहीं जा सकता।”

साल 1991 में केंद्रीय मंत्री रहने के दिनों को याद करते हुए धनखड़ ने कहा कि 1990 में हमारी अर्थव्यवस्था का आकार लंदन और पेरिस की अर्थव्यवस्था से भी छोटा था।

उन्होंने कहा, “…देखिए हम इस समय कहां हैं! पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं और ब्रिटेन से भी आगे हैं। उन्होंने हम पर 100 वर्षों से अधिक समय तक शासन किया। (हम) फ्रांस से आगे हैं और आने वाले समय में हम जापान और जर्मनी से भी आगे होंगे। ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।”

धनखड़ ने न सिर्फ बीमारी बल्कि इसके स्रोत को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि ध्यान एहतियात और रोकथाम पर होना चाहिए “जो हमारे पास पहले से मौजूद ज्ञान के प्रसार के माध्यम से किया जा सकता है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा, “ हमें देश में एक ऐसी संस्कृति विकसित करनी होगी जिसमें हर भारतीय फिट और स्वस्थ हो क्योंकि इस समय पूरा देश 2047 में विकसित भारत की मैराथन मार्च का हिस्सा है। आप सब इस मार्च का हिस्सा हैं। आपको फिट रहना है। ऐसा होने पर आकाश क्या, अंतरिक्ष में भी हमारे विकास की सीमा नहीं होगी और यह हो रहा है।”

उन्होंने अनुसंधान एवं विकास की बड़ी भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि यह एक लंबी और महंगी प्रक्रिया है। उपराष्ट्रपति ने कहा, “ मैं कॉरपोरेट से अपील करता हूं, मैं जनता के नेताओं से अपील करता हूं। उन्हें अनुसंधान और विकास में सहयोग देने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। यह अनुसंधान और विकास हमारी अर्थव्यवस्था के विकास और हमारी राजनयिक शक्ति में भी प्रतिबिंबित होगा।”

धनखड़ ने कहा, “जब यह देश कोविड से जूझ रहा था, तो आपको आश्चर्य होगा, हमने इससे निपटने के लिए 100 अन्य देशों की मदद की। वे (देश) कहते हैं–भारत सच्चा मित्र है। जब भारत अपनी बड़ी समस्या से जूझ रहा था तब हमें भी सहायता मिली। इसलिए मैं आपसे और कॉर्पोरेट के सभी लोगों से आग्रह करता हूं, कृपया आगे आएं और इन क्षेत्रों पर केंद्रित अनुसंधान, विकास, नवाचार, स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए अपने सीएसआर का उपयोग करें। वे हमारा बहुत भला करेंगे।”

उपराष्ट्रपति के मुताबिक आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और योग वाली भारत की समृद्ध पारंपरिक चिकित्सा पद्धति “हमारे पूर्वजों के गहन ज्ञान का प्रमाण हैं।’’

उन्होंने कहा कि ये विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का एक आदर्श मिश्रण हैं, जो मन, शरीर, आत्मा और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन पर जोर देता है।

धनखड़ ने रेखांकित किया कि देश के पास दूरदर्शी नेतृत्व है। उन्होंने कहा,“ हम अंतरिक्ष में, जमीन पर, सड़कों पर, बुनियादी ढांचे में, समुद्र में, रक्षा में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं… स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने के लिए हर गांव को इस पवित्र कार्य में शामिल करना हमारे लिए मुश्किल नहीं होना चाहिए।”

उपराष्ट्रपति ने कहा, “ आजकल, हम देखते हैं कि लोग अवसाद में आ जाते हैं, लोग तनाव से प्रभावित हो जाते हैं। नई-नई तरह की बीमारियां इसलिए सामने आ रही हैं क्योंकि हम अपने सांस्कृतिक लोकाचार से थोड़ा हट रहे हैं।”