नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की नॉर्वे की नेल एएसए के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के साथ-साथ नवीन ऊर्जा क्षेत्र में उसके निवेश में तेजी लाने में मदद करेगी। इससे अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी को हरित ऊर्जा क्षेत्र की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
आरआईएल ने 21 मई को एक प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग समझौता किया है। यह समझौता कंपनी को भारत में नेल के अल्कलाइन इलेक्ट्रोलाइज़र के लिए एक विशेष लाइसेंस प्रदान करता है और वैश्विक स्तर पर निजी उद्देश्यों के लिए नॉर्वे की कंपनी के अल्कलाइन इलेक्ट्रोलाइज़र का निर्माण करने की भी अनुमति देता है।
ब्रोकरेज फर्म मोर्गन स्टेनले ने एक लेख में कहा, ‘‘हम इसे आरआईएल और नेल के लिए हर तरह से मुनाफे के रूप में देखते हैं क्योंकि यह आरआईएल की नई ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं में तेजी लाने, एक एकीकृत ऊर्जा खंड (मौजूदा ऊर्जा निवेश को नई ताकत देने वाली नवीन ऊर्जा) बनाने और पोर्टफोलियो को कार्बन-रहित करने की महत्वाकांक्षा का समर्थन करता है।’’
नेल के लिए, यह लगातार आय का माध्यम प्रदान करता है जिसे वह भारत में एकल आधार पर प्राप्त नहीं कर सकती है और एक नई स्थिर आय प्रदान कर सकता है जो पूरी तरह से नए बड़े इलेक्ट्रोलाइजर ऑर्डर हासिल करने में कंपनी की निष्पादन क्षमता पर निर्भर नहीं होगी।
सत्र 2023-2024 में 350 मेगावाट और 400 मेगावाट आपूर्ति के साथ नेल एएसए के पास इलेक्ट्रोलाइज़र के वैश्विक बाजार में लगभग 10-15 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
समझौते के मुताबिक, नेल अपनी परियोजनाओं के लिए रिलायंस से उपकरण खरीद सकती है। नेल उन प्रौद्योगिकी मंच के साथ भारतीय बाजार में सेवा देना जारी रखेगी जो समझौते में शामिल नहीं हैं।