छुट्टियों का मौसम आ गया समझिए बस । बच्चों के लिए मई-जून का मतलब ही है छुट्टियां । छुट्टियां यानि मौज मस्ती घूमने फिरने खेलने खाने का मौसम । स्वाभाविक भी है साल भर पढ़ाई के बाद कर मन करता ही है जी भर कर सोया,,खाया, घूमा व खेला कूदा जाए । मस्ती काटी जाए, मनपंसद की मूवी देखी जाएं अथवा कुछ और किया । खास तौर पर टीनएजर्स के लिए छुट्टियों का एक ही मतलब है – फ़न यानि मज़ा । अब मज़े तो ठीक हैं पर किया क्या जाए ? अगर यह पता लग जाए तो फिर मज़ों का मज़ा दुगना हो जाता है और अगर मज़े के साथ कुछ सीख और कमा भी लिया जाए तो कहना ही क्या !
‘होलीडे टाइम’ शुरू
मई के दूसरे तीसरे या हफ्ते तक अंधिकांश स्कूल बंद हो जाते हैं और ‘होलीडे टाइम’ शुरू हो जाता है । ऐसे में क्या करें बच्चे मौज मस्ती के सिवाय ! थोड़े आराम व मौज , मनांरंजन से आगे के लिए रिचार्ज भी तो हो जाते हैं न !
खाली बैठना सबसे बोरिंग
खाली बैठना सबसे बोरिंग होता है और उनके पास समय ही समय होता है तब क्या किया जाए कुछ बच्चे कैरियर के चिंता के चलते तुरंत ही पढ़ाई में लग जाते हैं पर जो बच्चे पढ़ने के अलावा दूसरी गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं, घूमते फिरते हैं, पिकनिक, सैर सपाटे का आनंद लेते हैं उनके लिए छुट्टियां सबसे फेवरेट होती हैं पर यह बच्चे कई बार कंफ्यूज भी होते हैं की छुट्टियों में आखिर करें तो क्या ?
करें लर्निंग,आर्निंग व मस्ती
अगर थोड़ी सी समझदारी के साथ प्लान किया जाए तो लर्निंग , आर्निंग व मस्ती तीनों साथ – साथ हो सकती हैं । जिससे मन भी बहलेगा,शरीर भी तंदुरुस्त होगा और सीखने का ऑब्जेक्टिव भी पूरा होगा । और हां , इसके अलावा, ‘एंजॉय, एनलार्ज एंड एनेबल योरसेल्फ’ की राह पर चल यें तीन ‘ई’ जरुर प्राप्त करें ऐसा करेंगें तो चौथा ‘ई’ यानि एक्सीलेसी स्वयं आ जाएगा आपके पास ।
कैसे हों आपके डेस्टिनेशन
अगर घूमने का शौक है तो ऐसी जगह चुनें जो जलवायु के हिसाब से तो अच्छी हो ही आपके लिए उपयोगी भी हो जैसे इतिहास भूगोल के विद्यार्थी कोई ऐतिहासिक जगह जैसे पानीपत, वैल्लूर, पोर्टब्लेयर या मेरठ अथवा हैदराबाद, दिल्ली या आगरा चुन सकते हैं । साइंस के छात्र हैं तो विज्ञान व उच्च तकनीकी के लिए जाने जाने वाली जगहों को वरीयता दें जैसे बंगलौर, श्रीहरिकोटा, पिलानी अथवा देहरादून आदि बेहतर जगहें हो सकती है बेहतर हो आप बड़ों के अनुभव से या इंटरनेट सर्फ करके अपनी पसंदीदा जगह चुनें यें तो केवल उदाहरण हैं । प्रकृति का आनंद लेना है तो कुल्लु, मनाली, ऊटी, शिमला, धनोल्टी, गोवा या केरल अथवा उत्तरपूर्व से बेहतर और क्या होगा ? बजट है तो स्विट्जरलैंड होनोलूलू ,न्यूयार्क , लंदन पेरिस , वेनिस या यूरोप , अफ्रीका या आस्ट्रेलिया की भी कितनी ही जगहें हैं । पर हां, हवाई यात्रा का किफायती मज़ा ल्रने के लिए अपनी टिकट जल्द से जल्द बुक कराना न भूलें ।
करें स्किल डेवलपमेंट
अगर तबियत में यायावरी है और बिना पैसे खर्च किए जीवन भर घूमने का प्लान हो तो इन छुट्टियों में टूरिज्म व गाइिडंग का कॉर्स कर लें घूमने का घूमना व कमाई की कमाई होगी उम्र भर । बेहतर हो कि अपनी पसंद की जगह चुन,उसमें रुचि रखने वाले टूरिस्ट के गाइड़ बन सकते हैं इस प्रकार न केवल आप अपने ज्ञान को अपडेट करेंगें अपितु अपने शौक भी पूरे कर सकेंगें । हां, इस क्षेत्र में जाने से पहले आपकी कम्यूनिकेशन स्किल यानि अपनी बात दूसरों तक कुशलता होनी जरुरी है, इसके लिए इन छुट्टियों में स्पीकिंग कोर्स भी किया जा सकता है ।
बहुत कुछ है करने को
अगर घूमने का बजट न हो तो मार्शल आर्ट्स कुंगफु , कराटे , ताइक्वॉंडो, जूड़ो आदि सीखने का विकल्प तो है ही तैराकी , जिमनास्टिक, वाटरगेम्स व नौकायन कर सकते हैं । रॉफ्टिंग या कयाकिंग अथवा कैनोइंग का आनंद ले सकते हैं । फाइन आर्ट्स का शौक पूरा करने के लिए , संगीत , पेंटिंग बाॅटिक , ब्यूटीपार्लर या मेकअप का कॉर्स भी किया जा सकता है । यदि विदेश जाने की सोच हो व भाषा विज्ञान में रुचि हो तो जर्मन , चाइनीज , रशियन , फ्रेंच के कॉर्स भी बुरे नहीं हैं अपनी जरुरत व इंट्रेस्ट देखें बस । आजकल तो देशी भाषाएं जैसे कामलि , तेलुगु , कन्नड़ , मलयालम या गुजराती अथवा पंजाबी और उर्दू सीखना भी कम फायदे का सौदा नहीं है ।
हॉबी पूरी करें
घर पर खाली बैठ कर बोर होने की बजाय कोई हॉबी ही पूरी कर लें । गार्डनिंग, डेकोरेशन, कंप्यूटर गेमिंग, वॉकिंग, कसरत, जिम आदि ज्वाइन करके भी छुट्टियों का मज़ा लूटा जा सकता है । पर यह सब पहले से प्लान करके रखें ताकि न तो कंफ्यूज हों और न ही छुट्टियों का मज़ा खराब हो । हां,पढ़ने लिखने का शौक हो तो करंट जॉर्नल्स ,क्लासिक्स ,व स्वास्थ्य संबंधी उपयोगी किताबें भी पढ़ी जा सकती हैं । घर को वास्तु के अनुसार सजाने के लिए वास्तुकला या भविष्यवाणियों के लिए फेंगशुई ,टैरो या चीनी ज्योतिष की पुस्तकें भी हैं आपका शौक पूरा करने के लिए ।
क्रिएटिव बनिए, आगे बढ़िए
और कुछ नहीं तो बेकार पड़ी चीजों से कुछ उपयोगी वस्तुएं ही बना डालें । टूटे हुए कप प्लेट्स , क्रॉक्री , पत्थर आदि से नेकचंद की तरह रॉक गार्डन या पिलानी के मातुराम वर्मा जैसी कल्पनाशक्ति से आप भी ऐसा ही कुछ कर सकते । बहुत क्रिएटिव नहीं हैं तो भी अपने लिए तो कुछ बना ही सकते हैं । खराब पॉलिथिन, लकड़ी के चम्मच, माचिस की तीलियों को भी कल्पना को चार चांद लगा कर शो पीस में बदल सकते हैं । इसके अलावा एंब्राइड्री, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कलेक्शन, मोडिफिकेशन, आदि तो हैं ही छुट्टियों को सार्थक बनाने के लिए ।
नो टेंशन प्लीज
पर, हां, टेंशन न लें , हर बात में दूसरों से तुलना के चक्कर में न पड़ें । जो करें आत्मसंतुष्टि, आनंद व थोड़ी बहुत कमाई के लिए करें । थोड़ा रिस्क लेंगें, कुछ नया सोचेगें, लीक से हटकर कुछ नया करेगें तो आप नए सत्र में एक नए स्टार बनकर तो उभरेंगे । आपके पास रचनात्मकता का खजाना भी होगा । तो आॉल द’ बेस्ट , आनंद से बिताओ छुट्टियां इस बार ।