नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड चाहती है कि उसे सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों की पाइपलाइन और भंडारण (स्टोरेज) तक पहुंच मिले। इन पाइपलाइन और स्टोरेज का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने पिछले कई साल में किया है। इनका इस्तेमाल वे डिपो और तेल रिफाइनरी से हवाई अड्डों तक विमान ईंधन की आपूर्ति के लिए करती हैं। रिलायंस इन सुविधाओं तक पहुंच से एशिया के कुछ व्यस्त हवाई अड्डों पर ईंधन कारोबार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करना चाहती है।
देश के कुल विमान ईंधन (एटीएफ) उत्पादन में रिलायंस की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। रिलायंस दिल्ली हवाई अड्डे के बाहर के स्टोरेज डिपो के अलावा मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद हवाई अड्डों तक जाने वाली पाइपलाइन तक पहुंच चाहती है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा की जाने वाली एटीएफ आपूर्ति की तुलना में फिलहाल रिलायंस की हिस्सेदारी काफी कम है।
पेट्रोलियम क्षेत्र के नियामक भारतीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने पाइपलाइन द्वारा सभी मौजूदा और भविष्य के हवाई अड्डों पर एटीएफ की आपूर्ति के बारे में नियमों के मसौदे पर टिप्पणियां मांगी है। नियामक ने कहा है कि प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और ईंधन की लागत को कम करने के लिए सभी आपूर्तिकर्ताओं को आपूर्ति के लिए इन पाइपलाइन तक पहुंच मिलनी चाहिए। पीएनजीआरबी के मसौदे पर रिलायंस ने यह सुझाव दिया है।
हालांकि, देश का ईंधन बाजार मुक्त है लेकिन देश के व्यस्त हवाई अड्डों पर एटीएफ की आपूर्ति दशकों से सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) द्वारा बनाई गई पाइपलाइन से की जाती है।
रिलायंस, जो एक दशक से अधिक समय से विशेष रूप से मुंबई के हवाई अड्डों पर एटीएफ की आपूर्ति करने वाली पाइपलाइन तक पहुंच की मांग कर रही है, ने कहा है कि एयरलाइन के लिए पाइपलाइन के दायरे (जो सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा निर्मित पाइपलाइन तक तीसरे पक्ष को पहुंच प्रदान करता है) में भंडारण सुविधाओं तथा ‘ऑफ साइट’ टर्मिनल सुविधाओं तक पंप स्टेशनों को शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि ये एटीएफ आपूर्ति श्रृंखला का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
रिलायंस का कहना है कि इससे यह हवाई अड्डे पर ‘ऑन-साइट’ भंडारण सुविधाओं के लिए एटीएफ की आपूर्ति और वितरण को एक प्रतिस्पर्धी बाजार को बढ़ावा मिलेगा।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की रिफाइनरियों द्वारा उत्पादित 1.71 करोड़ टन एटीएफ में से 82 लाख टन की खपत देश में होती है और बाकी का निर्यात किया जाता है। जामनगर में रिलायंस की दो रिफाइनरी करीब 50 लाख टन का उत्पादन करती हैं जिसका एक बड़ा हिस्सा निर्यात किया जाता है।
देश में विमान से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे एटीएफ की मांग में भी बढ़ोतरी हो रही है। 31 मार्च, 2024 को समाप्त वर्ष में एटीएफ की मांग 11.8 प्रतिशत बढ़ी है।