आइजोल, 16 मई (भाषा) भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और पड़ोसी देश के साथ मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) वापस लेने के केंद्र के फैसले के विरोध में बृहस्पतिवार को मिजोरम में हजारों लोगों ने रैलियों में भाग लिया।
संगठन के एक नेता ने कहा कि जो री-यूनिफिकेशन ऑर्गनाइजेशन (जोरो) द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण रैलियां म्यांमा की सीमा से लगे चंफाई जिले के जोखावथर और वाफई गांवों में आयोजित की गईं और पड़ोसी देश के कई लोगों ने भी इनमें हिस्सा लिया।
जोरो एक मिजो समूह है जो भारत, बांग्लादेश और म्यांमा की सभी चिन-कुकी-मिजो-जोमी जनजातियों को एक प्रशासन के तहत लाकर उनका एकीकरण चाहता है।
जोरो के महासचिव एल रामदीनलियाना रेंथली ने पीटीआई.भाषा को बताया, “वफाई में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, जबकि लगभग 7,000 प्रदर्शनकारियों ने जोखावथर रैली में भाग लिया। म्यांमा के सैकड़ों लोगों ने दो रैलियों में भाग लिया, जबकि कई लोग भारत में प्रवेश नहीं कर सके क्योंकि संबंधित अधिकारियों को किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए ‘फ्रेंडशिप गेट’ बंद करना पड़ा।”
मिजोरम म्यांमा के चिन राज्य के साथ 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है और मिजो लोग चिन समुदाय के लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करते हैं।
राज्य गृह विभाग के अनुसार, म्यांमा के चिन राज्य के 34,000 से अधिक लोग वर्तमान में मिजोरम के विभिन्न हिस्सों में शरण लिए हुए हैं।
मिजोरम सरकार, नागरिक समाज संगठनों और छात्र निकायों ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को हटाने के केंद्र के फैसले का कड़ा विरोध किया है क्योंकि उनका मानना है कि यह दोनों देशों के जातीय समुदायों के बीच घनिष्ठ संपर्क को प्रभावित करेगा।
मिजोरम विधानसभा ने 28 फरवरी को एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने के केंद्र के फैसले का विरोध किया गया था।