अभिनेता राजकुमार राव ने बुधवार को कहा कि वह हमेशा चुनौतीपूर्ण किरदार अदा करना चाहते हैं, लेकिन इनके चयन के वक्त ज्यादा गुणा-भाग करने के बजाय अपने दिल की आवाज पर फैसला करते हैं।
राव (39) ने इंदौर में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं हमेशा चुनौतीपूर्ण किरदार निभाना चाहता हूं, लेकिन मैं बहुत गुणा-भाग करके किरदार नहीं चुनता। मुझे जिस किरदार के लिए अपने दिल के भीतर से आवाज आती है, मैं उसे निभाता हूं।’’
राव 10 मई को रिलीज होने वाली फिल्म ‘‘श्रीकांत आ रहा है सबकी आंखें खोलने’’ के प्रचार के लिए यहां पहुंचे थे। उद्यमी श्रीकांत बोला के जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने एक दृष्टिबाधित व्यक्ति का किरदार निभाया है।
अभिनेता ने कहा, ‘‘मैंने इस किरदार के लिए बहुत ज्यादा तैयारी की। मैंने दृष्टिबाधितों के विद्यालय में काफी वक्त बिताया और उनके वीडियो बनाए। मैं अपने घर जाकर ये वीडियो देखता रहता था ताकि मैं अपना किरदार अच्छे से निभाने के लिए दृष्टिबाधितों के हाव-भाव समझ सकूं।’’
राव इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि ओटीटी मंचों के मौजूदा दौर में ‘‘भव्य और मार-धाड़’’ वाली फिल्में ही दर्शकों की भीड़ को सिनेमाघरों तक खींच सकती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक कहानियों पर आधारित कुछ फिल्मों ने हाल ही में सिनेमाघरों में अच्छा प्रदर्शन किया है। मेरा मानना है कि अगर किसी फिल्म की कहानी अच्छी है और इसमें अभिनेताओं का प्रदर्शन काबिले-तारीफ है, तो लोग फिल्म देखने सिनेमाघर जरूर जाएंगे।’’
राव ने कहा कि वह ओटीटी मंचों को बेहद सकारात्मक तरीके से देखते हैं क्योंकि इनके कारण मनोरंजन जगत का विस्तार हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ओटीटी मंचों से काफी रोजगार पैदा हो रहे हैं। इनके कारण ऐसे प्रतिभाशाली कलाकारों को अच्छा काम मिल रहा है जिन्हें पहले किसी वजह से काम नहीं मिल पा रहा था या छोटे किरदार मिल रहे थे।’’