कोहिमा,नगालैंड सरकार ने नगा समुदाय के राजनीतिक मुद्दे का समावेशी समाधान तलाशने के लिए राज्य के मंत्रियों और सभी राजनीतिक दलों के विधायक दल के नेताओं को शामिल करते हुए एक ‘राजनीतिक मामलों की समिति’(पीएसी) का गठन किया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं संसदीय मामलों के मंत्री के.जी. केन्ये ने रविवार को यहां एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को आयोजित एक उच्च स्तरीय राजनीतिक बैठक के दौरान पीएसी का गठन किया गया।
उन्होंने बताया कि मौजूदा विधानसभा (एनएलए) में सभी राजनीतिक दलों के मंत्रिपरिषद और विधायक दल के नेताओं को पीएसी में शामिल किया गया है और इस समिति का उद्देश्य लंबित नगा राजनीतिक मुद्दे का एक समावेशी समाधान खोजना है।
उन्होंने बताया कि शीघ्र और सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए व्यापक सहमति बनाने के खातिर पीएसी ने एक बार फिर काम शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि विधायक दल के सभी नेताओं को निर्देश दिया गया है कि उल्लिखित उद्देश्यों के तहत मामलों के समाधान के लिए अपने पार्टी संगठनों के परामर्श से ‘राजनीतिक सलाहकार समितियों’ (पीसीसी) का गठन शुरू करें।
पीएसी केंद्र और नगा राजनीतिक समूहों दोनों से संपर्क कर रही है और लोगों की मांग और उनका समाधान निकालने का आग्रह कर रही है।
भारत सरकार और नगा राजनीतिक समूहों ने 1997 से युद्धविराम घोषित किया और जटिल राजनीतिक समस्या के समाधान के लिए विभिन्न समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत की है।
लगभग 70 दौर की वार्ता के बाद, केंद्र की 2015 में ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड’ (एनएससीएन-आईएम) के साथ एक रूपरेखा समझौते पर सहमति बनी थी और 2017 में ‘नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप’ (डब्ल्यूसी एनएनपीजी) की कार्य समिति के साथ सहमत स्थिति पर हस्ताक्षर भी किए गए थे।
अक्टूबर 2019 में नगा शांति वार्ता के लिए केंद्र के तत्कालीन वार्ताकार और नगालैंड के राज्यपाल आर.एन. रवि ने घोषणा की थी कि वार्ता पूरी हो गई है।
केंद्र ने नगाओं के लिए अलग ध्वज और संविधान की एनएससीएन-आईएम की मांग को स्वीकार नहीं किया है, जिससे अंतिम समाधान तक पहुंचने में देरी हो रही है, जबकि दूसरी ओर, डब्ल्यूसी एनएनपीजी ने ऐलान किया कि वे समाधान को स्वीकार करने और शेष मांगों के लिए बातचीत जारी रखने को तैयार हैं।