किसी धर्म के अनुयायी आध्यात्मिकता के मार्ग से भटकने पर कट्टरता के शिकार हो जाते हैं: मुर्मू

नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आध्यात्मिक सशक्तीकरण को ही वास्तविक सशक्तीकरण बताते हुए सोमवार को कहा कि जब किसी धर्म या संप्रदाय के अनुयायी आध्यात्मिकता के मार्ग से भटक जाते हैं, तो वे कट्टरता और अस्वस्थ मानसिकता के शिकार हो जाते हैं।

मुर्मू ने यहां ब्रह्माकुमारी द्वारा ‘स्वच्छ और स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तीकरण’ की राष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “आध्यात्मिक मूल्य सभी धर्मों के लोगों को एक दूसरे से जोड़ते हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के कई हिस्सों में भय, आतंक और युद्ध को बढ़ावा देने वाली ताकतें बहुत सक्रिय हैं। मुर्मू ने कहा, “ऐसे माहौल में ब्रह्माकुमारी संस्थान ने 100 से अधिक देशों में कई केंद्रों के माध्यम से मानवता के सशक्तीकरण के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान किया है। यह आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा देकर सार्वभौमिक भाईचारे को मजबूत करने का एक अमूल्य प्रयास है।”

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व इतिहास का स्वर्णिम अध्याय और राष्ट्रों का इतिहास हमेशा आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित रहे हैं। उन्होंने कहा, “विश्व इतिहास इस तथ्य का गवाह है कि आध्यात्मिक मूल्यों की उपेक्षा करना और केवल भौतिक प्रगति का मार्ग अपनाना अंततः विनाशकारी साबित हुआ है। स्वस्थ मानसिकता के आधार पर ही समग्र कल्याण संभव है।”

मुर्मू ने कहा कि वास्तव में एक स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों आयामों को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्ति एक स्वस्थ समाज, राष्ट्र और विश्व समुदाय का निर्माण करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि आध्यात्मिक सशक्तीकरण ही वास्तविक सशक्तीकरण है।

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी एक बयान में मुर्मू के हवाले से कहा गया, “जब किसी धर्म या संप्रदाय के अनुयायी आध्यात्मिकता के मार्ग से भटक जाते हैं, तो वे कट्टरता और अस्वस्थ मानसिकता के शिकार हो जाते हैं।”

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वार्थ की भावना से ऊपर उठकर लोक कल्याण की भावना से काम करना आंतरिक आध्यात्मिकता की सामाजिक अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा, “जनता के कल्याण के लिए दान करना सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक मूल्यों में से एक है।”

बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि ब्रह्माकुमारी संस्थान महिलाओं द्वारा संचालित संभवत: दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक संस्थान है। उन्होंने कहा, ”इस संगठन में ब्रह्माकुमारियां आगे रहती हैं और उनके सहयोगी ब्रह्माकुमार पृष्ठभूमि में काम करते हैं।”

मुर्मू ने कहा, “ऐसे अनूठे सामंजस्य के साथ यह संस्थान निरंतर आगे बढ़ रहा है। ऐसा करके इसने विश्व समुदाय के सामने आध्यात्मिक प्रगति और महिला सशक्तीकरण का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।”