नयी दिल्ली, 15 मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले 10 साल के कार्यकाल के दौरान भारत की रक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि हुई है और अब देश केवल सशस्त्र बलों की तात्कालिक जरूरतों के लिए ही हथियारों के आयात पर ही निर्भर है। नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने बुधवार को यह जानकारी दी।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व अध्यक्ष सारस्वत ने बताया कि वर्तमान समय में भारत के कुल 60 प्रतिशत हथियार और गोला-बारूदों को देश में तैयार किया जा रहा है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”पिछले 10 वर्षों में भारत की रक्षा क्षमता में काफी वृद्धि हुई है।”
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 2014 में सत्ता में आयी थी और फिर 2019 में उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा सरकार बनाई।
स्वीडन के थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की एक हालिया रिपोर्ट को लेकर किए गए सवाल के जवाब में सारस्वत ने कहा, ”भारत की रक्षा का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र अब काफी हद तक स्वदेशी है। अब हम केवल सशस्त्र बलों की तात्कालिक जरूरतों या ऐसी किसी चीज के लिए ही आयात पर निर्भर हैं जिसके लिए हमारे पास तकनीक का अभाव है।”
उन्होंने बताया कि अब अडानी ग्रुप, टाटा ग्रुप और लार्सन एंड टूब्रो जैसी बड़ी कंपनियां देश में ही रडार सिस्टम और बंदूकों का निर्माण कर रही हैं।
स्वीडन के थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) द्वारा 11 मार्च को पेश की गई रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत दुनिया का शीर्ष हथियार आयातक देश बना हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2014-2018 और 2019-2023 के बीच भारत द्वारा हथियारों के आयात में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
देश के कुछ हिस्सों में लू के प्रकोप के कारण इस गर्मी के मौसम में बिजली कटौती की आशंका संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश की विद्युत क्षमता इन जरुरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
सारस्वत ने कहा कि भारत की संस्थापित विद्युत क्षमता लगभग 452 गीगावाट है और यह देश की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
उन्होंने कहा, ”मुझे नहीं लगता कि इस बार बिजली क्षमता के कारण बिजली कटौती करनी पड़ेगी।”