अमृतसर के विकास के लिए भारतीय अमेरिकियों ने 10 करोड़ डॉलर देने का वादा किया

वाशिंगटन,  प्रसिद्ध भारतीय अमेरिकियों के एक समूह ने अमृतसर के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ‘स्टार्टअप्स’ को 10 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की है। अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय की ओर से किसी भारतीय शहर के लिए इस तरह की घोषणा अपने आप में एक नयी पहल है।

प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकियों और अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के एक समूह ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) ने ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (फिक्की) के साथ वाशिंगटन के मैरीलैंड में अपनी बैठक की, जहां विकसित अमृतसर पहल की घोषणा की गयी।

इस पहल के संस्थापक सदस्यों ने बताया कि अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू इस विशाल योजना के प्रेरणास्त्रोत हैं, जो वाशिंगटन में पिछले चार वर्षों की राजनयिक सेवा के बाद मिशन से मदद मिलने का वादा लेकर अपने गृह नगर लौट गये।

इस पहल का लक्ष्य अमृतसर को सिर्फ आर्थिक व औद्योगिक विकास के मामले में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों में से एक के रूप में विकसित करने का ही नहीं है बल्कि इस शहर को दुनिया के एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित बनाना है।

सेवानिवृत्ति के बाद भारत लौटने के तुरंत बाद संधू को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अमृतसर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

संधू ने शहर में प्रतिष्ठित भारतीय प्रवासी सदस्यों का एक सम्मेलन भी आयोजित किया था, जिसमें अमेरिका के जाने-माने भारतीय अमेरिकियों ने हिस्सा लिया था।

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष मुकेश अघी इस सम्मेलन के लिए विशेष रूप से अमेरिका से अमृतसर पहुंचे। सम्मेलन की सह-मेजबानी फिक्की ने की थी।

जिसके कुछ सप्ताह बाद समूह ने वाशिंगटन के मैरीलैंड में औपचारिक रूप से विकसित अमृतसर पहल की घोषणा की।

बृहस्पतिवार को एक बयान में बताया गया कि इस पहल का उद्देश्य अमृतसर में उद्यमियों को सलाह और उनके ‘स्टार्टअप्स’ को सफल बनाने के लिए 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रदान करना है।

अघी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”हमने अमृतसर के ‘स्टार्टअप्स’ में निवेश के लिए करीब 10 करोड़ डॉलर की राशि का प्रबंध किया है। हमारे पास 250 से ज्यादा आवेदन आये थे। हम उन सभी की समीक्षा कर रहे हैं। हमें और भी आवेदन प्राप्त होने की उम्मीद है। हम चाहेंगे कि अमृतसर में और ज्यादा ‘स्टार्टअप्स’ आएं ताकि रोजगार पैदा हों, नयी तकनीक विकसित हो और एक पूरा नया पारिस्थितिकी तंत्र बने।”