नयी दिल्ली, भारतीय गोल्फर दीक्षा डागर ने जब तोक्यो खेलों में ओलंपिक में पदार्पण किया था तो वह वहां प्रतिस्पर्धा करके ही खुश थीं लेकिन तब से वह ‘अधिक संतुलित और स्थिर’ हो गई हैं और बधिर ओलंपिक की स्वर्ण पदक विजेता आगामी पेरिस खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक है।
पिछले हफ्ते 100 लेडीज यूरोपीई टूर स्पर्धाओं में भाग लेने वाली पहली भारतीय गोल्फर बनीं 24 वर्षीय दीक्षा जुलाई-अगस्त में पेरिस ओलंपिक से पहले यूरोप में कई टूर्नामेंट खेलेंगी।
इस सप्ताह बर्लिन में अमुंडी जर्मन मास्टर्स से शुरूआत करने वाली दीक्षा ओलंपिक की तैयारी के लिए कम से कम नौ टूर्नामेंट खेलेंगी और लगभग सभी टूर्नामेंट यूरोप में होंगे।
दीक्षा ने ‘फिट इंडिया चैंपियंस पॉडकास्ट’ पर कहा, ‘‘यहां से सभी टूर्नामेंट मेरे लिए ओलंपिक की तरह होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं तोक्यो में सिर्फ प्रतिस्पर्धा करके ही खुश थी। यह मेरे लिए एक शानदार अनुभव, सीख और प्रेरणा थी। पेरिस में मैं केवल प्रतिस्पर्धा करने बजाय अच्छा प्रदर्शन करने के लिए अधिक प्रतिबद्ध और एकाग्र हूं।’’
दीक्षा बाएं हाथ की गोल्फर हैं और वह ओलंपिक में एक बार तथा बधिर ओलंपिक में दो बार हिस्सा लेने वाली एकमात्र खिलाड़ी हैं। उन्हें जन्म से ही सुनाई नहीं देता था। रोहतक की इस खिलाड़ी ने बधिर ओलंपिक में 2017 में तुर्की में रजत और 2022 में ब्राजील में स्वर्ण पदक जीता। वह 2019 में पेशेवर बनीं।
दक्षिण अफ्रीकी गोल्फर पाउला रेटो के हटने के बाद दीक्षा को तोक्यो में अंतिम समय में प्रवेश मिला था। उन्होंने अपने करियर में तीन पेशेवर खिताब जीते हैं और ओलंपिक रैंकिंग में 37वें स्थान पर हैं।
वह भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) की टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) का हिस्सा हैं। वह और अदिति अशोक टॉप्स से वित्तीय सहायता लेने वाली केवल दो गोल्फर हैं।
इस सप्ताह से शुरू होने वाले ओलंपिक पूर्व टूर्नामेंटों में भाग लेने के लिए दीक्षा को 35.48 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी।
दीक्षा ने मंगलवार को बर्लिन से साइ मीडिया से कहा, ‘‘मैंने मानसिक स्थिति, अपेक्षाओं से निपटने, प्रशिक्षण, फिटनेस, यात्रा और तैयारी से संबंधित विभिन्न पहलुओं में सुधार किया है। एक तरह से मैंने पेशेवर गोल्फ की बारीकियों पर स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली है और मास्टर डिग्री कर रही हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अधिक संतुलित, स्थिर और अधिक खुश पेशेवर खिलाड़ी हूं।’’