हरियाणा चुनाव: करनाल सीट बनी भाजपा के 10 साल के शासन की परीक्षा

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करनाल (हरियाणा), 21 मई (भाषा) हरियाणा की करनाल लोकसभा और विधानसभा सीट पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। करनाल सीट राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के दस साल के शासन की परीक्षा बन गई है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी करनाल सीट से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं।

मनोहर लाल खट्टर के विधायक पद से इस्तीफा दिए जाने के कारण करनाल सीट खाली हो गई थी।

पूरा उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में है लेकिन 54 वर्षीय नायब सिंह सैनी पूरे राज्य में घूम-घूमकर जनसभाएं और रैलियां कर रहे हैं।

हाल ही में करनाल विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करते हुए सैनी ने भाजपा की ‘डबल इंजन’ सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के बारे में बात की।

सैनी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर के लगभग एक दशक लंबे शासन ने कांग्रेस के राज में शुरू हुई ‘पर्ची-खर्ची” प्रणाली को समाप्त कर दिया, जिसमें नौकरियां “पक्षपात और भ्रष्टाचार” के आधार पर दी जाती थीं।

उन्होंने अपनी सभी रैलियों में कांग्रेस पर निशाना साधा और पार्टी पर बुजुर्गों के कल्याण के लिए काम न करने और केवल शक्ति के लिए सत्ता हासिल करने का आरोप लगाया।

भाजपा नेता अपनी पार्टी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म करने, नागरिकता संशोधन अधिनियम जैसे कानून बनाने और तीन तलाक प्रथा को खत्म करने की भी चर्चा करते हैं।

सैनी ने दावा किया कि राज्य में भाजपा सरकार ने सभी वर्गों का समान रूप से विकास किया और पारदर्शी प्रशासन दिया।

मुख्यमंत्री सैनी ने 2019 में पहली बार कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इससे पहले वह नारायणगढ़ विधायक के तौर पर पहली खट्टर सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

सैनी ने अपनी रैलियों में दावा किया, ”राज्य की सभी 11 सीट (10 लोकसभा और करनाल विधानसभा सीट) पर कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) खिलेगा।”

भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीट पर जीत हासिल की थी।

पूर्व मुख्यमंत्री खट्टर ने 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 69 वर्षीय तरलोचन सिंह को हराकर करनाल सीट बरकरार रखी थी।

करनाल विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में सैनी का मुकाबला कांग्रेस तरलोचन सिंह से है। वह हरियाणा अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख भी रह चुके हैं।

तरलोचन सिंह 1982 में युवा कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”मैंने 2019 के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री खट्टर के खिलाफ चुनाव लड़ा था और अब मैं वर्तमान मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ रहा हूं।”

जब सिंह से राज्य में विकास के भाजपा के दावों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सत्ता में 10 साल तक रहने के बाद भी खट्टर के पास दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है।

कांग्रेस उम्मीदवार सिंह ने कहा, ”10 साल की सरकार के बाद जब जनता ने खट्टर से हिसाब मांगा तो उनकी पार्टी ने उन्हें हटा दिया… जब खट्टर मुख्यमंत्री थे तो करनाल को ‘सीएम सिटी’ कहा जाता था, लेकिन जब यहीं के किसानों, कर्मचारियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सरपंचों ने आवाज उठाई तो उन्हें लाठियां खानी पड़ीं।’’

उन्होंने दावा कियर कि भाजपा की सरकार में हरियाणा में केवल बेरोजगारी, अपराध और घोटालों में वृद्धि हुई है।

दूसरी ओर सैनी सक्रिय रूप से खट्टर के लिए प्रचार कर रहे हैं जो करनाल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

राज्य भाजपा प्रमुख और कुरूक्षेत्र सीट से निवर्तमान सांसद सैनी ने 12 मार्च को हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

मनोहर लाल खट्टर ने 13 मार्च को करनाल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और उसी दिन भाजपा ने उन्हें करनाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया।

नायब सिंह सैनी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आते हैं और उन्हें खट्टर का विश्वासपात्र माना जाता है।

करनाल विधानसभा उपचुनाव में कुल नौ उम्मीदवार मैदान में हैं।

हरियाणा की दस लोकसभा सीट के लिए चुनाव के साथ ही 25 मई को करनाल विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होगा।