नयी दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेल में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका दायर करने वाले वकील पर लगाए गए एक लाख रुपये के जुर्माने को सोमवार को माफ कर दिया। याचिका में केजरीवाल को सुविधा देने का अनुरोध किया गया था ताकि वह जेल से अपनी सरकार चला सकें।
उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता वकील ने अपनी गलती मान ली है। अदालत ने याचिकाकर्ता वकील को दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) के निर्देशों के अनुसार सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया।
अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि यदि वह भविष्य में कोई याचिका दायर करते हैं तो उन्हें जुर्माने के आदेश के साथ-साथ माफी के आदेश की एक प्रति भी संलग्न करनी होगी।
याचिकाकर्ता द्वारा अर्जी दाखिल करके माफी मांगने और इस आधार पर जुर्माना माफ करने का आग्रह किया गया कि वह इस पेशे में अभी नया हैं। अदालत ने अर्जी को स्वीकार करते हुए जुर्माना माफ कर दिया।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी गलती का एहसास हो गया है और उन्होंने इसे दोबारा नहीं दोहराने की प्रतिबद्धता जताई है तथा वह सामुदायिक सेवा करने के लिए भी तैयार हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि याचिकाकर्ता ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है, इसलिए उन पर लगाया गया एक लाख रुपये का जुर्माना माफ किया जाता है। उन्हें डीएसएलएसए के निर्देशों के अनुसार सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया जाता है।’’
उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए जेल से सरकार चलाने की खातिर उचित व्यवस्था करने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका को आठ मई को खारिज करने के साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।