यदि प्रकृति ने मानव को सर्वप्रथम कोई उपहार दिया है तो वह उसका स्वास्थ्य। हमेशा से हम दुहराते चले आए हैं- ‘हेल्थ इस वैल्थ’ तो क्यों न इस धन की रक्षा की जाए, लेकिन कैसे?
आप जानते हैं कि मन-मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए अध्ययन अति आवश्यक है? यदि किताबों का पढऩा दिमाग की खुराक है ठीक वैसे ही शारीरिक स्वास्थ्य हेतु व्यायाम अति आवश्यक है। व्यायाम उपाय है शरीर को स्वस्थ रखने का, ताकि आप सदा चुस्त तंंदुरुस्त बने रहकर जिंदगी जिएं। स्वास्थ्य शरीर आत्मा का दर्पण बन सकता है। यदि शरीर पूर्णत: बलिष्ठ है, स्वस्थ है तो जीवनसंग्राम में नए-नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। आप जानते हैं कि स्वस्थ शरीर के अंदर ही स्वस्थ मस्तिष्क रह सकता है। अत: मस्तिष्क को खुराक के साथ ही साथ शरीर को व्यायाम का साथ देकर एक अच्छा जीवन जिया जा सकता है।
नियमित व्यायाम से मोटा व्यक्ति अपनी अतिरिक्त चर्बी घटाकर शरीर को सुगठित व फुर्तीला बना सकता है। कमजोर व दुबला व्यक्ति यदि रोजाना व्यायाम करता है तो शरीर का मांस बढ़ाकर उसे सही तौर पर भरा-भरा कर सकता है। इस प्रकार व्यायाम की नियामत से दोनों ही तरह के व्यक्ति लाभान्वित होते हैं। अत्यधिक मोटा व अत्यधिक क्षीणकाय होना दोनों ही के अभिशाप से बचा सकता है व्यायाम का वरदान। इससे सुगठित शरीर तो मिलता ही है साथ ही साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इस तरह व्यायाम हर स्तर पर मानव विकास में योग देता है। कह सकते हैं कि व्यायाम के द्वारा कोई भी व्यक्ति अपना जीवन बदल सकता है, वह अपना निवास (अपना शरीर) स्वस्थ रख आत्म को पूर्ण विकास की ओर ले जा सकता है।
यूं तो व्यायाम करने की कई विधियां हैं पर आप अपनी सुलभता सुगमतानुसार इनका प्रयोग कर सकते हैं। वर्तमान में प्रत्येक शहर में कई व्यायाम शालाएं (जिम) खुल चुके हैं। ये जिम आधुनिक मशीनों से सुसज्जित हैं, इनमें कुछ ही माह बाद कोई भी अपना कायाकल्प स्वत: देख सकता है। इन हेल्थ क्लबों में योग्य प्रशिक्षक व्यायाम का उचित तरीका बतलाते हैं, जिनका पूरी तरह पालन करके शरीर को स्वस्थ व स्फूर्तिदायक बनाया जा सकता है।
आज शरीर सौष्ठव का प्रचलन बड़ गया है। जगह-जगह प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। इनमें पुरस्कार प्राप्त करके आप सृजनशीलता का परिचय दे सकते हैं।
यदि आप विद्यार्थी हैं और हैल्थ क्लब जाकर व्यायाम करना आपके लिए संभव नहीं है तो आप घर पर ही कुछ विधियां सीखकर नियमित लाभ ले सकते हैं। एक माह किसी गुरु के द्वारा विधियां सीख लें तदुपरांत घर पर ही उनके बताए अनुरूप व्यायाम करें तो लाभ अवश्यंभावी है।
नियमित प्रात:काल या सायंकाल कम से कम पंद्रह मिनट से एक घंटे आप व्यायाम कर पूर्णत: स्वस्थ व सुगठित शरीर कुछ ही महीनों में पा सकते हैं। रोज-रोज कुछ ही मात्रा में व्यायाम बढ़ाने से लाभ होता है। व्यायाम जब जीवन का अंग बन जाता है, तब लंबी आयु तक कोई रोग नहीं होता है। निरोग व्यक्तित्व होता है।
योजनाबद्ध व्यायाम हर व्यक्ति कर सकता है, जो भी भोजन ग्रहण करें किंतु उसके अच्छे से पचा सकने में समर्थ बनाना व्यायाम का कार्य है। मदिरा सेवन व मांस भक्षण अनिवार्य नहीं है, न ही महंगे भोज्य पदार्थ ही वरन जो भी खाएं उसे खाने के साथ ही साथ उसके बराबर ऊर्जा विमुक्त भी करें, तभी स्वस्थ रहा जा सकता है।
अधिक व्यायाम करने वालों को दो बातों का मुख्यत: ध्यान रखना चाहिए, प्रथम बात यह कि सही व उचित आहार जैसे अनाजों में गेहूं, चना (अंकुरित) व सोयाबीन के साथ ही साथ कुछ फल व मौसमी साग-सब्जियां अति आवश्यक हैं। दूध ऐसे लोगों के लिए सर्वाधिक उपयोगी पेय है।
सर्वाधिक उपयोगी बात है व्यायाम के बाद नींद का उचित तरीके से लाभ लेना। व्यायाम के बाद रात्रि में छह घंटे शांत निंद्रा लेने से सारा शरीर विकसित होता है तथा मन प्रफुल्लित रहता है।
अतिसर्वत्र वर्जयते। अत: एकदम से ज्यादा व्यायाम हानिकारक हो सकता है क्रमश: मात्रा को बढ़ाया जाना चाहिए। सही समय अर्थात प्रात: व संध्या का चुनाव जरूरी है। व्यायाम करते-करते जब थकावट महसूस हो, सांसें अनियंत्रित होने लगे तब बंद करके थोड़ा आराम कर लें।
व्यायाम करते हुए बीच में कुछ भी खाना तथा पानी पीना, बीच-बीच में बात करना हानिकारक है। हां कभी-कभी थोड़ा-थोड़ा जलग्रहण कर सकते हैं। नियम तो यह है कि व्यायाम के उपरांत पांच मिनट आराम करके ही कुछ खाएं या पिएं। व्यायाम करते समय मुंह से सांस न लेकर मुंह बंद रखकर तथा तौलिये से पसीना पौंछकर व्यायामकर्ता को मस्तिष्क को संतुलित रखना चाहिए।
अंत में सबसे आवश्यक बात चिकित्सकों की सलाह और हमारे गुरुओं की चेतावनी है कि बिना कपड़े का लंगोट पहने या सपोर्टर लगाए व्यायाम कदापि न करें। इस तरह यदि कुछ सावधानियां रखते हुए रोजाना हल्का-फुल्का व्यायाम आदत में शामिल कर लिया जाए तो जीवन नई ऊर्जा से भर जाएगा। सुगठित शरीर एवं प्रफुल्लित मन अवस्था बरबस ही आपको सबका चहेता बना सकती है। अपने आपको चुस्त रखकर आप अपना जीवन अच्छी तरह से जी सकते हैं।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हैल्थ इस वैल्थ, की किस तरह रक्षा की जाए। तो देर किस बात की जुट जाएं और क्रमश: इस सद्गुण को शौक से शुरू करके आदत बना डालें, क्योंकि प्रत्येक वो सद्गुण जो हमारे जीवन को पूर्णता प्रदान कर सकता है। उसे जीवन का अंग बना लेना ही हमारी संस्कृति की सीख है। आज आवश्यकता है हमारे युवा पहले अपने शारीरिक स्वस्थ्य की ओर ध्यान दें, क्योंकि तभी नैतिक, आध्यात्मिक प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक इत्यादि विकासों व स्वास्थ्य का मार्ग प्रशस्त होता है।