नयी दिल्ली, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार ‘निश्चित’ बताते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल का ‘400 पार’ का दावा एक मजाक है, ‘300 पार’ असंभव है। उनके अनुसार भाजपा के लिए यहां तक कि ‘200 पार’ करना भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
थरूर ने यहां पीटीआई मुख्यालय में संपादकों के साथ बातचीत में यह दावा भी किया कि केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलेगी और दक्षिण भारत में इसका प्रदर्शन 2019 से भी खराब रहेगा। उन्होंने कहा कि वह कर्नाटक में भी अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाएगी जब उसे 28 में से 25 सीट मिली थीं।
लोकसभा चुनाव में थरूर का मुकाबला केरल की तिरुवनंतपुरम सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार राजीव चंद्रशेखर और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) प्रत्याशी पी. रवींद्रन से है। इस सीट पर 26 अप्रैल को मतदान हो चुका है और निवर्तमान सांसद थरूर ने यहां से अपनी ‘बहुत आसान जीत’ की उम्मीद जताई।
थरूर अगर इस चुनाव में तिरुवनंतपुरम से जीत जाते हैं तो यह उनकी लगातार चौथी जीत होगी। वह इस क्षेत्र का सबसे अधिक समय तक संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद हैं।
तिरुवनंतपुरम में करीब दो महीने तक जोरदार प्रचार में भाग लेने के बाद दिल्ली लौटे कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य अब देश के अन्य हिस्सों में पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। थरूर की भाषण शैली और उनकी लोकप्रियता की वजह से कई क्षेत्रों में उनकी मांग है।
मतदान के दो चरण के बाद कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रदर्शन को लेकर थरूर की राय पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक 190 सीट पर मतदान हुआ है और मुझे जो अपने सूत्रों से पता चल रहा है कि यह हमारे लिए बहुत सकारात्मक है। हम यह नहीं कह रहे कि हमारी जबरदस्त लहर है लेकिन निश्चित रूप से सरकार के लिए भी ऐसी स्थिति नहीं है।’’
थरूर ने कहा, ‘‘वास्तव में, जो लोग कुछ समय से चुनावों पर नजर रख रहे हैं, उनका कहना है कि इस चुनाव और 2014 और 2019 के चुनावों के बीच अंतर यह है कि भाजपा मतदाताओं में उदासीनता और उत्साह की कमी दिखाई दे रही है।”
उनके मुताबिक हिंदी भाषी राज्यों की जिन सीटों पर अब तक मतदान हुआ है, वहां कांग्रेस नेताओं में एक उम्मीद है।
थरूर ने कहा, ‘‘इसलिए, मैं कहूंगा कि हम इस समय अपनी अपेक्षा से कहीं अधिक आगे हैं। बेशक, अनावश्यक रूप से लंबे समय तक खिंचने वाले इस चुनाव में अभी पांच चरण और बाकी हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि चुनाव में कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन को कितनी सीट मिलेंगी, थरूर ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि वह क्रिकेट प्रशंसक के रूप में भी स्कोर की भविष्यवाणी नहीं करते बल्कि केवल जीत का पूर्वानुमान जताते हैं।
थरूर ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि अब तेजी से यह लग रहा है कि भाजपा नीत राजग सरकार अपना बहुमत खो देगी। भाजपा को बहुमत नहीं मिलेगा, ये तय है।’’
उन्होंने कहा कि देश के छह राज्यों में, भाजपा ने सभी सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि तीन राज्यों में उसने एक सीट को छोड़कर सभी सीट जीतीं, और दो राज्यों में उसने दो को छोड़कर सभी सीट जीतीं। उन्होंने कहा कि यह अब फिर से नहीं होने वाला।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हरियाणा में कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं जीती लेकिन चुनाव पूर्व सर्वेक्षण इस बार हमें पांच से सात सीट मिलने की ओर इशारा कर रहे हैं। कर्नाटक में हमने एक सीट जीती थी और इस बार सर्वेक्षणों में हमें 10 से 17 सीट मिलने की और कुछ में तो 20 सीट मिलने की भविष्यवाणी की जा रही है।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘चार सौ पार’ के नारे पर उन्होंने कहा, ‘‘यह ‘400 पार’ का नारा एक मजाक है, 300 पार असंभव है और 200 पार भी उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।’’
थरूर ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भाजपा दक्षिण में पिछली बार से खराब प्रदर्शन करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने कहा कि उत्तर में उन्होंने पिछली बार बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था और इसे दोहराना असंभव है। उत्तर और दक्षिण दोनों जगह वे नीचे आने वाले हैं। हम किस तरह का प्रदर्शन करेंगे और ‘इंडिया’ किस तरह का प्रदर्शन करेगा यह तो अभी पता चलेगा क्योंकि 353 सीट पर अभी मतदान होना है।’’
थरूर ने कहा कि लेकिन इस बात के साफ संकेत हैं कि भाजपा के लिए यह कठिन संघर्ष है और चीजें उनकी सरकार के हिसाब से नहीं हो रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय नागरिक के रूप में एक युवक जिसने 2014 में भाजपा को वोट दिया था क्योंकि उसे नौकरी का वादा किया गया था, वह 10 साल बाद भी भाजपा को वोट क्यों देगा जबकि उसके पास नौकरी नहीं है।’’
थरूर ने दलील दी कि जब सभी अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि 80 प्रतिशत भारतीय आबादी की आय में पिछले 10 साल में गिरावट आई है तो ये 80 प्रतिशत लोग भाजपा के लिए मतदान क्यों करना चाहेंगे जिसने उन्हें इस हाल में पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि 2014 में भाजपा ने अर्थव्यवस्था के नाम पर अभियान चलाया, लेकिन अर्थव्यवस्था के लिहाज से वह विनाशकारी सरकार थी। थरूर ने कहा कि 2019 में उसने पुलवामा और बालाकोट के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बनाया।
थरूर ने दावा किया कि भाजपा अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के सहारे सरकार में नहीं आ सकती।
उन्होंने कहा, ‘‘वे इस बार अर्थव्यवस्था का सहारा नहीं ले सकते क्योंकि उन्होंने अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभाला है और लोगों के पास नौकरियां नहीं हैं।’’
थरूर ने कहा, ‘‘वे राष्ट्रीय सुरक्षा का सहारा नहीं ले सकते क्योंकि सभी जानते हैं कि चीन हमारे सीमावर्ती क्षेत्र में धीरे-धीरे पैर जमा रहा है और वहां 65 गश्त बिंदुओं में से 26 ऐसे हैं जहां दोनों सेनाएं गश्त करती थीं, जहां अब भारतीय सेना की पहुंच नहीं है, और वह श्री (नरेंद्र) मोदी की नजर में है, तो वह राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में अपनी पीठ कैसे थपथपाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए ऐसी बातें हो रही हैं….‘हिंदू हृदय सम्राट’ का संदेश, राम मंदिर, जिस तरह की भड़काऊ भाषा हम प्रधानमंत्री और अन्य लोगों की सुन रहे हैं और देख रहे हैं, एक समुदाय के बारे में भय फैलाना और धर्म के आधार पर चुनाव के ध्रुवीकरण का प्रयास करना। इस रणनीति का वास्तव में देश में अत्यधिक उपयोग हो चुका है और जो लोग इस आधार पर मतदान कर रहे हैं वे पहले से ही भाजपा को वोट दे रहे हैं…तो अब यह तटस्थ मतदाताओं को आकर्षित नहीं करता।’’