इंदौर (मध्य प्रदेश), लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने राजनीति में “सकारात्मकता” की जरूरत पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि उसे इंदौर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं से “नोटा” को वोट देने की अपील क्यों करनी पड़ी।
कांग्रेस के घोषित प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने पार्टी को तगड़ा झटका देते हुए नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 29 अप्रैल को अपना पर्चा वापस ले लिया और वह इसके तुरंत बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। नतीजतन इस सीट के 72 साल के इतिहास में कांग्रेस पहली बार चुनावी दौड़ में नहीं है।
इसके बाद कांग्रेस ने स्थानीय मतदाताओं से अपील की कि वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर ‘‘नोटा’’ (उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाकर ‘‘भाजपा को सबक सिखाएं’’।
महाजन ने ओल्ड पलासिया क्षेत्र के एक मतदान केंद्र पर वोट डालने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में इस बार भारत को सशक्त बनाने के लिए सहमति देने के वास्ते मतदान किया जा रहा है।’’
इंदौर में कांग्रेस की ‘‘नोटा’’ की अपील पर उन्होंने कहा कि खुद कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि उसकी यह स्थिति क्यों हुई और उसे ऐसा आह्वान क्यों करना पड़ा।
भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में शामिल महाजन, लोकसभा में 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार इंदौर की नुमाइंदगी कर चुकी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह नोटा क्या होता है? हमें जीवन में हमेशा सकारात्मक बने रहना चाहिए और नकारात्मकता को जीवन में नहीं आने देना चाहिए।’’
इंदौर के कांग्रेस उम्मीदवार बम के ऐन मौके पर पर्चा वापस लेने से इस प्रमुख विपक्षी दल के चुनावी दौड़ से बाहर होने के घटनाक्रम को लेकर महाजन ने हाल ही में हैरानी जताई थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि इंदौर लोकसभा सीट के इतिहास में अपनी तरह के पहले चुनावी पालाबदल से नाराज कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने उन्हें फोन करके कहा था कि अब वे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर “नोटा” का विकल्प चुनेंगे।